प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-22 दिसंबर को अपने दो दिवसीय कुवैत दौरे पर रवाना हो चुके हैं। यह दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक और रणनीतिक है, क्योंकि यह 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत दौरा है। यह यात्रा कुवैत के अमीर शेख मशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबाह के निमंत्रण पर हो रही है। इसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को प्रगाढ़ करना है। इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी कुवैत के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे और भारतीय समुदाय के साथ संवाद करेंगे। आइए इस दौरे के महत्व और भारत-कुवैत संबंधों के इतिहास पर नजर डालते हैं।
अरब देशों में भारत की रणनीतिक प्राथमिकता
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा इस बात का उदाहरण है कि भारत ने पिछले दशक में मध्य पूर्व और खाड़ी देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी अब तक 13 बार विभिन्न अरब देशों की यात्रा कर चुके हैं, जिनमें यूएई, कतर, सऊदी अरब, ओमान और बहरीन शामिल हैं। कुवैत का यह दौरा भारत की इस रणनीति में एक और मील का पत्थर साबित होगा।
भारत-कुवैत संबंधों का इतिहास
भारत और कुवैत के बीच राजनयिक संबंध 1961 में स्थापित हुए थे। भारत ने कुवैत की स्वतंत्रता को सबसे पहले मान्यता दी थी। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार और सांस्कृतिक क्षेत्रों में लंबे समय से सहयोग रहा है। कुवैत भारत के लिए तेल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है और 1961 तक भारतीय रुपया कुवैत में चलन में था।
ऐतिहासिक यात्राएं और द्विपक्षीय संबंध
1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुवैत का दौरा किया था, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री का कुवैत का पहला दौरा था। 2009 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कुवैत का दौरा किया। कुवैत के शीर्ष नेताओं ने भी समय-समय पर भारत का दौरा किया, जिससे द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए।
ऊर्जा और व्यापारिक साझेदारी
कुवैत भारत की ऊर्जा सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय व्यापार $13.8 बिलियन तक पहुंच गया। भारत, कुवैत के तेल का सबसे बड़ा आयातक है। इसके अलावा, कुवैती कंपनियां भारत में ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं।
कोविड-19 महामारी में सहयोग
कोविड-19 महामारी के दौरान दोनों देशों के बीच मजबूत सहयोग देखने को मिला। भारत ने कुवैत को मेडिकल उपकरण और विशेषज्ञ टीम भेजी थी, जबकि कुवैत ने भारत को ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सहायता प्रदान की थी। इस परस्पर सहयोग ने दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत किया।
भारतीय समुदाय का महत्व
कुवैत में लगभग 10 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो वहां का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। यह समुदाय हेल्थकेयर, इंजीनियरिंग और अन्य क्षेत्रों में कुवैत की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है। हालांकि, अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की संख्या भी एक बड़ी चुनौती है।
रक्षा सहयोग
भारत और कुवैत के बीच रक्षा सहयोग मुख्य रूप से नौसेना पर आधारित है। 2022 में चार भारतीय नौसेना जहाजों ने कुवैत का दौरा किया था। हाल ही में भारतीय नौसेना का आईएनएस विशाखापट्टनम कुवैत पहुंचा, जिसने दोनों देशों के समुद्री सहयोग को नई ऊंचाई दी।
व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध
तेल की खोज से पहले भारत और कुवैत के बीच खजूर, घोड़ों, और लकड़ी जैसे उत्पादों का व्यापार होता था। कुवैत के नाविक भारतीय बंदरगाहों पर नियमित रूप से आते थे। आज भी, भारत अनाज, विद्युत उपकरण और रसायनों का कुवैत को निर्यात करता है, जबकि खनिज ईंधन और प्लास्टिक का आयात मुख्य व्यापारिक हिस्से हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा भारत और कुवैत के संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह न केवल व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि रक्षा, सांस्कृतिक और सामुदायिक संबंधों को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा। यह यात्रा दोनों देशों के बीच दशकों पुराने मित्रता के रिश्ते को और मजबूत करेगी।