पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो पिछले 35 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं, को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की तैयारी की जा रही है। प्रशासन और पुलिस ने इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारी कर ली है। वहीं, किसानों को डर है कि किसी भी समय डल्लेवाल को जबरन उठाने की कोशिश हो सकती है।
खनौरी बॉर्डर के पास पटड़ा शहर में सोमवार सुबह से ही बड़ी संख्या में वॉटर कैनन, आंसू गैस के गोले फेंकने वाले वाहन और भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस ने कार्रवाई के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। किसानों और पुलिस के बीच टकराव की स्थिति बनती नजर आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और किसानों का विरोध
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को 31 दिसंबर से पहले इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाए। इसी सिलसिले में प्रशासन और किसान नेताओं के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। किसानों का कहना है कि प्रशासन जबरन कार्रवाई कर आंदोलन को कमजोर करना चाहता है।
रविवार देर रात किसान नेता डल्लेवाल ने फेसबुक लाइव के जरिए किसानों से खनौरी बॉर्डर पर एकजुट होने की अपील की थी। उनकी इस अपील के बाद रातभर किसान बड़ी संख्या में बॉर्डर पर इकट्ठा हो गए। किसान नेता स्पष्ट कर चुके हैं कि डल्लेवाल को जबरन उठाने की किसी भी कोशिश का शांतिपूर्ण लेकिन सख्ती से विरोध किया जाएगा।
पुलिस की तैयारी और किसान आंदोलनकारियों का रुख
पुलिस ने पटड़ा शहर और खनौरी बॉर्डर के आसपास वॉटर कैनन और आंसू गैस के गोले फेंकने वाले वाहन तैनात कर दिए हैं। पुलिस बल हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि पुलिस और प्रशासन को यह समझना होगा कि डल्लेवाल को जबरन उठाना समाधान नहीं है।
किसानों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि किसी तरह की जबरदस्ती हुई, तो आंदोलन और तेज होगा। हालांकि, किसान नेता यह भी मानते हैं कि सरकार से टकराव नहीं किया जा सकता, लेकिन शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार उनके पास है।
आंदोलन का भावी रास्ता
सुप्रीम कोर्ट ने 31 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई निर्धारित की है। इससे पहले किसी भी समय प्रशासन डल्लेवाल को अस्पताल ले जाने के लिए कार्रवाई कर सकता है। किसानों का मानना है कि यह उनकी एकजुटता की परीक्षा का समय है।
खनौरी बॉर्डर पर बढ़ता तनाव इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में किसान आंदोलन और उग्र हो सकता है। प्रशासन और किसान दोनों ही अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं। अब यह देखना होगा कि इस टकराव का समाधान कैसे निकलता है।