
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल से लागू किए जाने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ (परस्पर शुल्क) के ऐलान के बाद से भारतीय शेयर बाजार में घबराहट का माहौल देखा जा रहा है। इस कारण 1 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी में 1% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट
सेंसेक्स 1390.41 अंक (1.80%) की गिरावट के साथ 76,024.51 पर बंद हुआ। इसमें 27 स्टॉक्स गिरावट में और सिर्फ 3 स्टॉक्स में बढ़ोतरी देखी गई। वहीं, निफ्टी 353.65 अंक (1.50%) गिरकर 23,165.70 पर बंद हुआ। निफ्टी में 1,955 स्टॉक्स गिरावट में और 79 स्टॉक्स स्थिर रहने में सफल रहे।
बीएसई के 30 स्टॉक्स वाले प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स की शुरुआत भी 500 अंकों की गिरावट के साथ 76,882.58 पर हुई। इसी तरह, एनएसई का निफ्टी-50 भी 150 अंकों की गिरावट के साथ 23,341.10 पर खुला। हालांकि कुछ समय बाद बाजार में सुधार देखने को मिला और सेंसेक्स-निफ्टी स्पॉट ट्रेडिंग कर रहे थे।
ग्लोबल मार्केट्स में भी अस्थिरता
भारतीय शेयर बाजार के अलावा, ग्लोबल मार्केट्स में भी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। निवेशक अमेरिका के ट्रेड टैरिफ से संबंधित खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस वक्त निवेशक मैक्रो-आर्थिक डेटा, विदेशी निवेशकों की गतिविधियों, सोने की कीमतों और रुपये की विनिमय दर पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
शेयर बाजार में गिरावट के तीन प्रमुख कारण
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ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ:
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की थी कि 2 अप्रैल से अमेरिका भारतीय उत्पादों पर 100% टैरिफ (कस्टम शुल्क) लगाएगा। ट्रंप का कहना था कि भारत अपने उत्पादों पर 100% से अधिक शुल्क वसूलता है, जबकि अमेरिका केवल 25% शुल्क वसूलता है। इस कारण अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी भारतीय उत्पादों पर ऐसा ही शुल्क लगाने का ऐलान किया। इस निर्णय से दोनों देशों के व्यापार में असंतुलन बढ़ सकता है और इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा। -
विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली:
विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। इन निवेशकों का बाजार से पैसा निकालना भारतीय शेयर बाजार पर दबाव डाल रहा है। खासकर, यदि निवेशक अन्य देशों के बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं तो यह और भी चिंताजनक हो सकता है। इस बिकवाली ने बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी है और गिरावट का कारण बनी है। -
आर्थिक अनिश्चितता:
वैश्विक आर्थिक मंदी के डर और अमेरिका में 2025 की पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 2.8% तक घटने की भविष्यवाणी ने निवेशकों के विश्वास को घटाया है। इस आर्थिक अनिश्चितता के कारण भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ रही है। निवेशक इस समय बाजार में जोखिम लेने से बच रहे हैं और इस कारण बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है।
निवेशकों के लिए क्या करें?
निवेशकों को इन अस्थिर बाजारों में सतर्क रहना चाहिए। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय सोने में निवेश करना एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह कीमती धातु आर्थिक संकट के समय अच्छा प्रदर्शन करती है। इसके अलावा, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को विविधीकरण करने की सलाह दी जाती है ताकि वे बाजार में गिरावट से बच सकें।
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ट्रेड टैरिफ लगाए जाने के ऐलान के बाद भारतीय शेयर बाजार में घबराहट और गिरावट का माहौल है। विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली, आर्थिक अनिश्चितता और वैश्विक मंदी का डर इन गिरावटों के प्रमुख कारण हैं। इस समय निवेशकों को धैर्य और समझदारी से काम लेने की सलाह दी जाती है, ताकि वे इस अस्थिर बाजार में सुरक्षित रह सकें और भविष्य में अच्छे रिटर्न प्राप्त कर सकें।