हरियाणा के किसान भी देंगे पंजाब के किसानों का साथ, खनौरी बॉर्डर पर बढ़ा आंदोलन
पंजाब के किसानों का संघर्ष अब हरियाणा के किसानों का भी समर्थन पा सकता है। पंजाब-हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में अब हरियाणा के किसान नेता भी आगे आ रहे हैं। आज हरियाणा के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी खनौरी बॉर्डर पर पहुंचकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात करेंगे।
जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के अध्यक्ष हैं, पिछले 20 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी मांगें किसानों की समस्याओं और सरकार की नीतियों के खिलाफ हैं। हरियाणा के किसानों का यह समर्थन आंदोलन को और मजबूती देने वाला माना जा रहा है।
हरियाणा सरकार की पुरानी नीति
इससे पहले, हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों को फरवरी 2024 में शुरू हुए इस किसान आंदोलन का हिस्सा बनने से रोक दिया था। हालांकि, अब गुरनाम सिंह चढ़ूनी का डल्लेवाल से मिलने का फैसला हरियाणा और पंजाब के किसानों के बीच एकता को मजबूत करने वाला कदम है। इससे दोनों राज्यों के किसानों के बीच बेहतर समन्वय और आंदोलन की धार तेज होने की संभावना है।
डल्लेवाल का 20वां दिन अनशन पर
शनिवार को खनौरी बॉर्डर पर मंच से डल्लेवाल ने भावुक होकर कहा, “सरकार की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों की जान मेरी जान से ज्यादा कीमती है।” उन्होंने सरकार पर किसानों के अधिकारों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं होता, उनका अनशन जारी रहेगा।
डल्लेवाल ने यह भी कहा कि किसान केवल अपने हक के लिए लड़ रहे हैं और वे चाहते हैं कि सरकार उनकी समस्याओं को समझे और तुरंत समाधान निकाले। उनकी यह बात किसानों के बीच प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
चढ़ूनी का समर्थन
गुरनाम सिंह चढ़ूनी का समर्थन इस आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे हरियाणा में किसानों के बीच एक लोकप्रिय नेता हैं और उनके शामिल होने से आंदोलन को नई ऊर्जा मिलेगी। चढ़ूनी का यह कदम हरियाणा के किसानों को भी इस आंदोलन से जोड़ सकता है, जिससे यह आंदोलन व्यापक रूप ले सकता है।
किसानों का गुस्सा और सरकार की जिम्मेदारी
डल्लेवाल के इस बयान ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं और सरकार उनकी समस्याओं को हल करने में विफल क्यों हो रही है। किसानों का कहना है कि वे अपनी फसल के उचित दाम, कर्जमाफी और कृषि सुधार जैसे मुद्दों पर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी की जा रही है।
आंदोलन का भविष्य
खनौरी बॉर्डर पर किसानों का यह संघर्ष अब नई दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है। हरियाणा और पंजाब के किसानों के बीच एकजुटता सरकार पर दबाव बना सकती है। हालांकि, सरकार को भी अब इस मसले को जल्द हल करने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान हो सके।
किसानों और सरकार के बीच बातचीत का कोई ठोस नतीजा निकलता है या नहीं, यह देखना अभी बाकी है। लेकिन इतना तय है कि यह आंदोलन केवल पंजाब तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हरियाणा के किसान भी अब इस लड़ाई का हिस्सा बन सकते हैं।