
पंजाब पुलिस द्वारा नशों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान ‘युद्ध नशों के विरुद्ध’ को गुरुवार को 75वां दिन था। इस मौके पर राज्यभर के बस अड्डों पर तलाशी अभियान चलाया गया, जिससे तस्करों और संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके।
इस राज्यस्तरीय ऑपरेशन का आयोजन पंजाब के डीजीपी गौरव यादव के निर्देशों पर किया गया। सभी 28 जिलों में यह तलाशी मुहिम एकसाथ चलाई गई। ऑपरेशन की निगरानी स्वयं स्पेशल डीजीपी (कानून व्यवस्था) अरपित शुक्ला कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सभी सीपी और एसएसपी को निर्देश दिए गए थे कि वे एसपी रैंक के अधिकारियों की निगरानी में भारी पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करें।
किस तरह चला अभियान?
इस ऑपरेशन के दौरान शक के आधार पर कई लोगों की जांच-पड़ताल की गई। यात्रियों के सामान की तलाशी ली गई, और बस अड्डों के आसपास संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी गई। इसी के साथ, पंजाब पुलिस ने राज्यभर में 486 जगहों पर छापेमारी भी की।
इन छापों का सीधा मकसद था नशा तस्करों को पकड़ना और नशे की अवैध सप्लाई को रोकना। छापेमारी में मिली सफलता के अनुसार, पुलिस ने 83 एफआईआर दर्ज की हैं और 124 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
क्या-क्या बरामद हुआ?
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से पुलिस ने भारी मात्रा में नशीले पदार्थ बरामद किए हैं:
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4.02 किलोग्राम हेरोइन
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2.5 किलोग्राम अफीम
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₹27,090 की ड्रग मनी
इसके अलावा, गुरदासपुर जिले में दो नशा तस्करों के अवैध रूप से अर्जित संपत्ति से बने मकान गिरा दिए गए। यह कार्रवाई यह संदेश देने के लिए की गई कि नशा तस्करों के खिलाफ सिर्फ गिरफ्तारी ही नहीं, बल्कि उनकी अवैध संपत्तियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की सख्ती जारी
स्पेशल डीजीपी अरपित शुक्ला ने कहा कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक पंजाब को पूरी तरह नशा मुक्त नहीं बना दिया जाता। उन्होंने बताया कि पुलिस का मकसद नशे के हर लिंक को तोड़ना है – चाहे वह सप्लायर हो, तस्कर हो या खरीददार।
पंजाब पुलिस ने यह भी साफ किया है कि नशा कारोबार में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह किसी भी वर्ग या स्थिति से संबंधित हो। यह अभियान समाज में नशे के खिलाफ चेतना फैलाने और युवाओं को सुरक्षित भविष्य देने की दिशा में एक ठोस कदम है।