नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और भाजपा के बीच सोमवार (16 दिसंबर 2024) को एक नई बहस छिड़ गई। इस बहस की वजह बनी प्रियंका गांधी द्वारा संसद परिसर में लाए गए एक बैग, जिस पर “फिलिस्तीन” लिखा हुआ था और साथ में फिलिस्तीनी प्रतीक चिह्न भी बने थे। इस बैग में एक तरबूज की आकृति भी थी, जिसे फिलिस्तीन के समर्थन और उनके संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे कांग्रेस की “तुष्टिकरण राजनीति” का हिस्सा करार दिया।
भाजपा ने लगाया तुष्टिकरण का आरोप
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, “गांधी परिवार तुष्टिकरण का झोला ढो रहा है। यह वही तुष्टिकरण है, जिसने कांग्रेस को देश में चुनावी हार के कगार पर पहुंचा दिया है।” पात्रा ने कांग्रेस पर मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि इस प्रकार के प्रतीकात्मक समर्थन से कांग्रेस अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को धूमिल कर रही है।
प्रियंका गांधी का पलटवार
प्रियंका गांधी ने भाजपा की आलोचनाओं का करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “यह आलोचना पितृसत्ता का उदाहरण है। मुझे बताया जा रहा है कि मुझे क्या पहनना चाहिए और क्या नहीं। मैं पितृसत्ता का समर्थन नहीं करती। मैं वही पहनूंगी जो मैं चाहती हूं।” प्रियंका ने अपने बयान के जरिए यह संकेत दिया कि उनकी पसंद पर सवाल उठाना व्यक्तिगत आजादी और महिलाओं के अधिकारों पर हमला है।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख का बयान
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस विवाद पर प्रियंका गांधी को “राहुल गांधी से भी बड़ी आपदा” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “इस संसद सत्र के अंत में कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए। प्रियंका वाड्रा, जिन्हें कांग्रेस में एक समाधान के रूप में देखा जा रहा था, दरअसल, राहुल गांधी से भी बड़ी असफलता साबित हो रही हैं। संसद में फिलिस्तीन के समर्थन में बैग लेकर चलना अब पितृसत्ता से लड़ने के नाम पर सांप्रदायिक राजनीति का उदाहरण बन गया है। कांग्रेस अब नई मुस्लिम लीग बन चुकी है।”
तरबूज का प्रतीक और फिलिस्तीन का समर्थन
तरबूज को फिलिस्तीन में उनके विरोध और संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। यह प्रतीक फिलिस्तीनी संस्कृति और उनकी स्वतंत्रता की मांग का समर्थन करने वाले आंदोलनों से जुड़ा है। प्रियंका गांधी का यह कदम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनके समर्थन के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि, भाजपा इसे भारत की आंतरिक राजनीति में तुष्टिकरण का मामला बता रही है।
कांग्रेस का बचाव
कांग्रेस पार्टी ने भाजपा की आलोचनाओं का विरोध करते हुए इसे “भाजपा की दुष्प्रचार राजनीति” करार दिया। कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “भाजपा मुद्दों से भटकाने और हर विषय को सांप्रदायिक रंग देने में माहिर है। प्रियंका गांधी ने न केवल महिला अधिकारों की बात की है, बल्कि उनकी अंतरराष्ट्रीय दृष्टि को भी सामने रखा है।”
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
यह मुद्दा सोशल मीडिया पर भी तेजी से चर्चा में आ गया। प्रियंका गांधी के समर्थकों ने उनके साहस और प्रतीकात्मकता की सराहना की, जबकि विरोधियों ने इसे चुनावी लाभ के लिए किया गया कदम बताया। #PriyankaWithPalestine और #TushikaranKiPolitics जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
क्या है विवाद की जड़?
इस विवाद की जड़ में न केवल प्रियंका गांधी का बैग है, बल्कि यह सवाल भी है कि भारतीय राजनीति में अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का स्थान कितना है। भाजपा इसे कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति बता रही है, तो वहीं कांग्रेस इसे महिलाओं के अधिकार और पितृसत्ता के खिलाफ संघर्ष से जोड़ रही है।
प्रियंका गांधी के बैग पर शुरू हुई यह बहस अब पितृसत्ता, धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता के मुद्दों तक पहुंच गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद आगामी चुनावी समीकरणों को कितना प्रभावित करता है।