केंद्र सरकार द्वारा चुनाव संचालन नियम, 1961 में किए गए संशोधन को लेकर कांग्रेस ने जोरदार विरोध जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की यह पहल चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को खत्म करने की “सुनियोजित साजिश” का हिस्सा है।
चुनाव संचालन नियमों में बदलाव
केंद्र सरकार ने हाल ही में चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन करते हुए सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगा दी है। सरकार का तर्क है कि यह कदम ऐसे दस्तावेजों के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है।
खरगे का आरोप: आयोग की स्वतंत्रता पर हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस संशोधन को लोकतंत्र पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाई गई चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटा दिया था। अब सरकार चुनावी जानकारी को जनता से छिपाने का प्रयास कर रही है, जो हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
खरगे ने दावा किया कि कांग्रेस द्वारा की गई गंभीर शिकायतों को चुनाव आयोग ने नजरअंदाज किया है, जिससे आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष रहकर अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए। खरगे ने यह भी कहा कि मोदी सरकार चुनाव आयोग की अखंडता को खत्म करने की सोची-समझी साजिश कर रही है।
कानूनी चुनौती की तैयारी
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस संशोधन को “पारदर्शिता के खिलाफ” बताते हुए कानूनी चुनौती देने की बात कही है। उन्होंने इसे अस्वीकार्य करार देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। वहीं, कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग का अब तक का व्यवहार अपारदर्शी और सरकार समर्थक रहा है।
सरकार का पक्ष
सरकार ने चुनाव संचालन नियमों में किए गए संशोधन को लेकर तर्क दिया है कि यह कदम सीसीटीवी फुटेज और वेबकास्टिंग जैसे संवेदनशील दस्तावेजों के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है। हालांकि, इस निर्णय को लेकर विपक्षी दलों और विशेषज्ञों ने सरकार पर पारदर्शिता खत्म करने का आरोप लगाया है।
लोकतंत्र और पारदर्शिता पर बहस
इस संशोधन के बाद विपक्षी दलों और सरकार के बीच लोकतंत्र, पारदर्शिता और संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र और संविधान की मूलभूत संरचना पर हमला बताते हुए कहा कि यह कदम न केवल चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को प्रभावित करेगा, बल्कि नागरिकों के अधिकारों का भी हनन करेगा।
चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन को लेकर विपक्षी दलों और खासकर कांग्रेस का विरोध बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र और पारदर्शिता के खिलाफ बताया है और इसे कानूनी रूप से चुनौती देने का ऐलान किया है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और यह बहस किस दिशा में जाती है।