हफ्ते के पहले दिन सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि चांदी का वायदा हरे निशान में कारोबार कर रहा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमत मामूली गिरावट के साथ 76,410 रुपये प्रति 10 ग्राम पर है। वहीं, चांदी की कीमत में 0.49% की बढ़ोतरी हुई और यह 88,822 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही है।
शुक्रवार को भी गिरा सोना और चांदी
शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत लगातार तीसरे दिन गिरावट के साथ बंद हुई। सोना 170 रुपये टूटकर 78,130 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। इससे पहले गुरुवार को 99.9% शुद्धता वाले सोने की कीमत 78,300 रुपये प्रति 10 ग्राम थी।
उद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की कमजोर मांग के चलते चांदी की कीमत में भी बड़ी गिरावट देखी गई। चांदी 1,850 रुपये की गिरावट के साथ 88,150 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी की कीमत 90,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
मांग में गिरावट का असर
सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण गहना विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों द्वारा कम खरीददारी बताया जा रहा है। त्योहारी सीजन के बाद गहनों की मांग में कमी आना सामान्य बात है, और इसका असर सोने की कीमतों पर देखने को मिला। वहीं, उद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की मांग कमजोर होने से चांदी की कीमतें भी प्रभावित हुईं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी की कीमतों में हलचल देखने को मिली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों और डॉलर की मजबूती का असर कीमती धातुओं की कीमतों पर पड़ा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना दबाव में बना हुआ है, जो घरेलू बाजार में कीमतों को प्रभावित कर रहा है।
चांदी की हल्की बढ़त
हालांकि, सोमवार को चांदी का वायदा मामूली बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। MCX पर चांदी 88,822 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई, जो बाजार में सकारात्मक संकेत दे रही है।
निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने और चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे खरीदारी करते समय बाजार की स्थिति का ध्यान रखें और लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर विचार करें।
कीमतों पर नजर
आने वाले दिनों में सोने और चांदी की कीमतों में और गिरावट या स्थिरता देखने को मिल सकती है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक संकेत और घरेलू मांग के आधार पर ही कीमतों का निर्धारण होगा।