बिहार विधानसभा चुनाव में अभी करीब एक साल का समय बाकी है, लेकिन सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर बहस तेज हो गई है। इसी बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी ‘प्रगति यात्रा’ की शुरुआत चंपारण से की। यात्रा के आगाज से पहले जेडीयू ने एक पोस्टर जारी कर सियासी गर्मी बढ़ा दी है। जेडीयू के आधिकारिक सोशल मीडिया एक्स हैंडल से जारी पोस्टर पर लिखा गया है, ‘जब बात बिहार की हो, नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो।’
जेडीयू का सीधा संदेश
इस पोस्टर के जरिए जेडीयू ने स्पष्ट संकेत दिया है कि एनडीए के मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार ही उनका चेहरा होंगे। पार्टी पहले भी कई मौकों पर यह साफ कर चुकी है कि बिहार में अगला चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। जेडीयू के इस रुख से यह साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी का स्टैंड अडिग है।
बीजेपी की स्थिति और सम्राट चौधरी का बयान
एनडीए में जेडीयू की सबसे बड़ी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी चुनावी नेतृत्व को लेकर नीतीश कुमार का समर्थन किया है। बिहार में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके और मौजूदा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह स्पष्ट किया था कि बिहार में अगला चुनाव नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
हालांकि, इस बयान के बावजूद बिहार में बीजेपी के कई नेताओं ने यह पूरी तरह साफ नहीं किया कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे। सम्राट चौधरी और बीजेपी के अन्य नेताओं ने सिर्फ नेतृत्व की बात कही, लेकिन सीएम फेस को लेकर पार्टी ने कोई अंतिम निर्णय नहीं दिया।
अमित शाह का बयान और नई बहस
सीएम पद के उम्मीदवार को लेकर यह चर्चा तब शुरू हुई, जब महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में एनडीए सरकार बनी। इस संदर्भ में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बयान दिया कि बीजेपी में निर्णय लेने की एक तय प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट्री बोर्ड और गठबंधन के सभी दल साथ बैठकर यह निर्णय करेंगे। हालांकि, अमित शाह के बयान के बाद यह मुद्दा और गरमा गया कि क्या वाकई नीतीश कुमार को एनडीए का सीएम फेस घोषित किया जाएगा।
सियासत की भाषा और संकेत
जेडीयू के पोस्टर की टाइमिंग भी चर्चा का विषय बनी हुई है। वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क का कहना है कि यह पोस्टर नीतीश कुमार की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। नीतीश कुमार बिहार की सियासत में ऐसे नेता माने जाते हैं, जो सटीक रणनीति और संकेतों के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करना जानते हैं।
स्लोगन के राजनीतिक मायने
जेडीयू के स्लोगन ‘जब बात बिहार की हो, नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो’ के जरिए पार्टी ने बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों को यह संदेश दे दिया है कि मुख्यमंत्री पद के सवाल पर पार्टी अपने रुख से पीछे नहीं हटेगी। यह स्लोगन एक तरह से जेडीयू की तरफ से यह दावा भी है कि नीतीश कुमार ही बिहार में सुशासन और विकास के प्रतीक हैं।
नीतीश कुमार का नेतृत्व और गठबंधन की मजबूती
नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार की राजनीति के केंद्रीय चेहरे रहे हैं। उनकी छवि एक अनुभवी और कुशल प्रशासक की रही है। एनडीए में रहते हुए भी उन्होंने गठबंधन धर्म निभाया है, लेकिन अपनी स्थिति को लेकर हमेशा सतर्क रहे हैं। जेडीयू का यह पोस्टर इसी रणनीति का हिस्सा है, जो गठबंधन में उनकी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश करता है।
चुनाव से पहले रणनीतिक संदेश
बिहार चुनाव से पहले जेडीयू और बीजेपी के बीच तालमेल बनाए रखना एनडीए के लिए अहम होगा। जेडीयू के इस पोस्टर के जरिए यह साफ हो गया है कि पार्टी मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी। अब देखना होगा कि बीजेपी इस पर क्या रुख अपनाती है और आने वाले दिनों में यह बहस किस दिशा में आगे बढ़ती है।
जेडीयू के इस पोस्टर ने बिहार की सियासत में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां जेडीयू नीतीश कुमार को सीएम फेस घोषित करने पर अडिग है, वहीं बीजेपी की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर अंतिम स्पष्टता नहीं आई है। ऐसे में आगामी बिहार चुनाव से पहले यह मुद्दा एनडीए के भीतर सियासी समीकरणों को और दिलचस्प बना सकता है।