चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक में मंगलवार को कांग्रेस और बीजेपी के पार्षदों के बीच जबरदस्त हंगामा हुआ। इस हंगामे के कारण दोनों पक्षों की ओर से नारेबाजी और हाथापाई की घटना सामने आई। जानकारी के अनुसार, यह हंगामा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बीआर आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर हुआ। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षदों ने अमित शाह के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें उनके इस्तीफे की मांग की गई।
बीजेपी पार्षदों ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि नेहरू के समय कांग्रेस ने आंबेडकर का अपमान किया था। इसके बाद, दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस और नारेबाजी शुरू हो गई। इस दौरान कुछ पार्षदों ने अनिल मसीह को ‘वोट चोर’ तक कह दिया। अनिल मसीह ने वेल में आकर जवाब देते हुए कहा कि राहुल गांधी भी जमानत पर बाहर हैं, जिसे लेकर और भी विवाद बढ़ गया।
विवाद की जड़ चंडीगढ़ मेयर चुनाव में छुपी हुई है, जो इस साल जनवरी में हुआ था। बीजेपी के मनोज सोनकर को इस चुनाव में 16 वोट मिले थे, जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार को 12 वोट प्राप्त हुए थे। चुनाव के दौरान आठ वोटों को रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने अवैध करार दिया था। इसके बाद, कांग्रेस और आप ने चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते फरवरी में सुनवाई के दौरान अनिल मसीह पर तीखी टिप्पणी की थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जो हुआ, उसे लोकतंत्र की हत्या और मजाक करार दिया था। कोर्ट ने मसीह को अवमानना का नोटिस भी जारी किया था, और मसीह ने अदालत में स्वीकार किया था कि उन्होंने बैलेट पेपर में क्रॉस का निशान बनाया था।
बताया जा रहा है कि अनिल मसीह पर चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बैलेट पेपर से धोखाधड़ी का आरोप है। कुछ साल पहले ही मसीह ने बीजेपी जॉइन की थी, और उनके खिलाफ यह विवाद बढ़ता जा रहा है।