संयुक्त किसान मोर्चा अभी भी खनौरी और शंभू बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में सीधे तौर पर शामिल होने से बच रहा है, लेकिन हरियाणा के बाद अब उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतें भी किसान आंदोलन-2 के समर्थन में डट गई हैं। उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों ने 29 दिसंबर को हरियाणा के हिसार में आयोजित खाप महापंचायत में शामिल होने का ऐलान किया है। इससे पहले हरियाणा की 101 खाप पंचायतों ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर संघर्ष में शामिल होने की घोषणा की थी।
डल्लेवाल का अनशन और मांगें
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित 13 मांगों को लेकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का पंजाब और हरियाणा सीमा पर जारी अनशन आज 30वें दिन में प्रवेश कर गया है। उनकी हालत बेहद गंभीर हो चुकी है। डॉक्टरों का कहना है कि उनके अंग किसी भी समय फेल हो सकते हैं। उनका वजन काफी कम हो गया है। हालांकि, डल्लेवाल अभी भी चढ़ती कला में हैं और मंगवार को उन्होंने मंच से किसानों को संबोधित किया।
इस दौरान डल्लेवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने मांग की है कि खनन और कृषि से जुड़े मुद्दों पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के आधार पर एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए। आज, आम आदमी पार्टी के नेता अमन अरोड़ा दोपहर 2 बजे खनौरी पहुंचकर डल्लेवाल से मुलाकात करेंगे।
पंजाब बंद के लिए बैठक
पंजाब बंद को लेकर आज खनौरी बॉर्डर पर एक अहम बैठक हो रही है। इस बैठक में व्यापारी संगठनों, टैक्सी यूनियनों, धार्मिक और सामाजिक संगठनों के नेता भाग लेंगे। इस दौरान पंजाब बंद को लेकर अलग-अलग रणनीतियां बनाई जाएंगी। पंजाब बंद सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक रहेगा। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों को भी इस बंद में शामिल होने का आह्वान किया गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा का नरम रुख
संयुक्त किसान मोर्चा के सुर इस बार नरम दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अभी तक आंदोलन में शामिल होने का फैसला नहीं किया गया है। मोर्चा अभी बैठकें कर रहा है। इस संबंध में 24 दिसंबर को चंडीगढ़ में एक बैठक हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि किसान जनवरी के पहले हफ्ते में राष्ट्रपति या कृषि मंत्री से मिलेंगे।
किसान आंदोलन को बढ़ा समर्थन
हरियाणा की खाप पंचायतों के बाद उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों का समर्थन किसान आंदोलन को और मजबूत बना रहा है। खाप पंचायतों ने हिसार में महापंचायत में शामिल होने का ऐलान कर इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर नई धार दी है।
यह आंदोलन किसानों के मुद्दों पर सरकार के प्रति दबाव बनाने का एक बड़ा प्रयास बनता जा रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, संघर्ष जारी रहेगा।