पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर पिछले 41 दिनों से मरणव्रत पर बैठे बुजुर्ग किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की हालत बेहद नाज़ुक हो गई है। उनकी बिगड़ती हालत के बावजूद उनका जज़्बा और हौसला कायम है। डॉक्टरों के मुताबिक, डल्लेवाल के शरीर में अब केवल हड्डियां बची हैं। उनके गुर्दे, जिगर और फेफड़ों को गंभीर क्षति पहुंची है। उनकी देखभाल कर रही निजी डॉक्टरों की टीम के प्रमुख डॉ. अवतार सिंह ने बताया कि उन्हें कभी भी साइलेंट हार्ट अटैक हो सकता है।
मरणव्रत के कारण बिगड़ रही स्वास्थ्य स्थिति
डॉ. अवतार सिंह, जो फाइव रिवर्स हार्ट एसोसिएशन से जुड़े हैं, ने बताया कि डल्लेवाल का मरणव्रत खत्म होने के बाद भी उनका शरीर पहले जैसा नहीं रह पाएगा। उनके शरीर के कई अंग अब 100% काम करने में सक्षम नहीं होंगे। डॉक्टर हर छह घंटे में उनका मेडिकल चेकअप करते हैं। डल्लेवाल का वजन काफी घट चुका है। पिछली जांच में उनका वजन 12 किलो कम पाया गया था, जिसके बाद से वह ठीक से खड़े नहीं हो पा रहे हैं। डॉक्टरों ने वजन की जांच रोक दी है क्योंकि उनकी हालत इतनी गंभीर हो चुकी है कि उनका शरीर मांसपेशियां तोड़ने लगा है।
डॉक्टरों की चेतावनी
डॉक्टरों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति सात दिन तक कुछ नहीं खाता है, तो शरीर पहले अंदरूनी वसा का उपयोग करना शुरू करता है। वसा खत्म होने के बाद शरीर मांसपेशियों को तोड़कर ऊर्जा प्राप्त करता है। फिलहाल डल्लेवाल के शरीर में यही प्रक्रिया चल रही है। उनकी मांसपेशियां लगभग खत्म हो चुकी हैं, और अब उनका शरीर केवल हड्डियों का ढांचा रह गया है।
डॉक्टरों ने यह भी बताया कि डल्लेवाल की उम्र 70 साल है, और इस उम्र में उनकी मांसपेशियां फिर से विकसित नहीं हो पाएंगी। मरणव्रत तोड़ने के बाद भी उनकी शारीरिक स्थिति में कोई खास सुधार संभव नहीं है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि बिना भोजन के इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण उन्हें किसी भी समय कार्डिएक अरेस्ट या साइलेंट हार्ट अटैक हो सकता है।
अंगों की विफलता का खतरा
डल्लेवाल के गुर्दों में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ रहा है, और उनके ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR) में गिरावट आई है। इसका मतलब है कि उनके गुर्दे रक्त को ठीक से साफ नहीं कर पा रहे हैं। जिगर की स्थिति भी खराब है, और उसके फेल होने का खतरा है। फेफड़ों में समस्या होने के कारण उन्हें मल्टी-ऑर्गन फेल्योर का खतरा है।
डल्लेवाल का निर्णय
डॉ. अवतार सिंह ने बताया कि डल्लेवाल ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि उन्हें किसी भी स्थिति में इलाज नहीं करवाना है, चाहे वह डॉक्टरों के सामने ही क्यों न मर जाएं। डॉक्टरों की टीम का फोकस केवल उन्हें ठंड से बचाने और संक्रमण से सुरक्षित रखने पर है।
सरकार और चिकित्सीय प्रबंधन
पंजाब सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एक अलग अस्पताल की व्यवस्था की है, लेकिन डल्लेवाल की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों की निजी टीम ने भी पूरी तैयारी कर रखी है। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि डल्लेवाल के पास कम से कम लोग जाएं ताकि उन्हें बैक्टीरिया या संक्रमण का खतरा न हो।
जगजीत डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति ने किसानों के आंदोलन में नई चुनौती खड़ी कर दी है। डॉक्टरों के प्रयासों के बावजूद, मरणव्रत पर बैठे किसान नेता के स्वास्थ्य की स्थिति हर बीतते दिन के साथ और गंभीर हो रही है। इस परिस्थिति में सरकार और संबंधित पक्षों के बीच जल्द से जल्द समाधान निकालना जरूरी है, ताकि डल्लेवाल और अन्य आंदोलनकारी किसानों की जिंदगी को बचाया जा सके।