पंजाब में सरकारी बस यात्रियों को राहत: ठेका कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म की
पंजाब में सरकारी बसों का चक्का जाम करने वाले पनबस और पीआरटीसी ठेका कर्मचारियों ने अपनी तीन दिन की हड़ताल खत्म कर दी है। आज से सरकारी बसें सामान्य रूप से चलने लगेंगी। हड़ताल के कारण दो दिनों तक लाखों यात्री परेशान रहे और परिवहन विभाग को 5 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ। देर शाम यूनियन ने हड़ताल खत्म करने का फैसला किया, जिसके बाद आज से बसों की आवाजाही सामान्य हो जाएगी।
हड़ताल के पीछे ठेका कर्मचारियों की मांगें
यह हड़ताल ठेका कर्मचारियों को स्थायी करने और उनकी अन्य मांगों को लेकर की गई थी। हड़ताल का असर रविवार रात 12 बजे से ही दिखने लगा था। लगभग 7,500 कर्मचारियों की हड़ताल के कारण 2,700 से अधिक बसों का संचालन ठप हो गया। पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी की सभी बसें पूरी तरह से बंद रहीं।
यूनियन के मुताबिक, ठेका कर्मचारियों को लंबे समय से स्थायी करने की मांग की जा रही थी, लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। इसके विरोध में कर्मचारियों ने डिपो में ही रुककर प्रदर्शन किया। वहीं, मोहाली में राज्य स्तरीय प्रदर्शन भी आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद हड़ताल खत्म
यह पहली बार है जब मुख्यमंत्री कार्यालय से यूनियन को बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है। मुख्य सचिव के पत्र संख्या 2025/1 के माध्यम से यूनियन को 15 जनवरी को चंडीगढ़ में वार्ता के लिए बुलाया गया। इस पत्र के बाद यूनियन को अपनी मांगें पूरी होने की उम्मीद जगी और उन्होंने हड़ताल को रद्द कर दिया।
यात्रियों की समस्याएं और आर्थिक नुकसान
हड़ताल के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। खासतौर पर दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों की आवाजाही ठप होने से बाहरी यात्रियों को सबसे ज्यादा दिक्कत हुई। कई यात्रियों को बिना किसी विकल्प के घर लौटना पड़ा। जिन लोगों ने छुट्टियों या अन्य कामों के लिए यात्रा की योजना बनाई थी, उन्हें घंटों तक दूसरी राज्यों की बसों का इंतजार करना पड़ा।
यात्रियों के साथ-साथ परिवहन विभाग को भी बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। दो दिनों की हड़ताल से विभाग को 5 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान झेलना पड़ा।
यूनियन और अधिकारियों के बीच बातचीत की कोशिशें
मंगलवार सुबह से ही रोडवेज अधिकारी यूनियन के सदस्यों को मनाने की कोशिश करते रहे। राज्य इकाई के अध्यक्ष, महासचिव और वरिष्ठ नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया गया, लेकिन यूनियन ने कहा कि हर बार स्थानीय अधिकारियों से बैठक की बात होती है, लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं करवाई जाती।
मुख्यमंत्री कार्यालय से बैठक का पत्र जारी होने के बाद ही कर्मचारियों ने हड़ताल को रद्द किया। यूनियन का कहना है कि वे अब मुख्यमंत्री के साथ बातचीत में अपनी समस्याओं को सामने रखेंगे और उम्मीद है कि उनकी मांगें पूरी होंगी।
यात्रियों को मिली राहत
हड़ताल खत्म होने के बाद सरकारी बसें आज से फिर से चलने लगेंगी। इससे यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी, खासकर उन्हें जो बाहरी राज्यों की यात्रा के लिए सरकारी बसों पर निर्भर हैं।
आगे की रणनीति
सरकार और यूनियन के बीच 15 जनवरी को होने वाली बैठक पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यह बैठक ठेका कर्मचारियों की मांगों को लेकर अहम मानी जा रही है। यूनियन को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को जल्द स्वीकार करेगी और उनका स्थायीकरण होगा।
निष्कर्ष
इस हड़ताल से यह स्पष्ट हो गया कि ठेका कर्मचारी लंबे समय से अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं। सरकार को चाहिए कि वह यूनियन की मांगों पर गंभीरता से विचार करे ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियां न बनें। वहीं, यात्रियों के लिए यह राहत भरी खबर है कि सरकारी बसों की आवाजाही आज से सामान्य हो जाएगी।