किसानों ने 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर देशभर में ट्रैक्टर मार्च करने का ऐलान किया है। यह फैसला आंदोलन को और तेज करने और केंद्र सरकार पर अपनी मांगें मानने का दबाव बढ़ाने के लिए लिया गया है। किसानों का कहना है कि यह आंदोलन अब केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे पूरे देश में फैलाया जाएगा। इसके लिए किसान नेता लगातार अन्य राज्यों में बैठकें और जनजागरण अभियान चला रहे हैं।
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का डेरा
पिछले 11 महीनों से पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 44 दिनों से अनशन पर बैठे हैं, जिससे आंदोलन को नई ऊर्जा मिली है। उनकी बिगड़ती हालत ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान-मजदूर मोर्चा को आंदोलन में सक्रिय होने के लिए मजबूर कर दिया है।
26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान-मजदूर मोर्चा की एक अहम बैठक मंगलवार को ढाबी गुज्जरां बॉर्डर पर हुई। इस बैठक में 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च करने का फैसला लिया गया। इसके अलावा, 10 जनवरी को केंद्र सरकार के पुतले फूंकने और 13 जनवरी को लोहड़ी के मौके पर मंडी मार्केटिंग एक्ट की कॉपियों को जलाने का कार्यक्रम पहले ही तय किया गया है।
किसान नेताओं ने साफ किया है कि इन कार्यक्रमों में देश का कोई भी गांव हिस्सा लेने से नहीं चूकना चाहिए। किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि यह आंदोलन पूरे देश के किसानों और आम जनता का साझा संघर्ष है। इसे सफल बनाने के लिए सभी राज्यों और गांवों से समर्थन जुटाना जरूरी है।
केंद्र सरकार पर बढ़ा दबाव
किसान नेता सुरजीत फूल और दिलबाग सिंह हरीगढ़ ने कहा कि केंद्र सरकार को अपनी जिद छोड़कर किसानों की मांगों को मान लेना चाहिए। वहीं, सरवन सिंह पंधेर ने दोहराया कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को मनवाने के लिए है, लेकिन यदि सरकार ने लापरवाही दिखाई तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती हालत
ढाबी गुज्जरां बॉर्डर पर अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्थिति गंभीर हो गई है। डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी किडनी और लिवर पर बुरा असर पड़ रहा है, और उनके अन्य अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि किसी भी समय उनकी हालत और खराब हो सकती है। पंजाब सरकार के डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी स्थिति पर नजर रख रही है।
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा, “यदि डल्लेवाल जी को कुछ हो गया तो स्थिति बेकाबू हो जाएगी। केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा कोई हालात पैदा न हों। डल्लेवाल जी की जान को नुकसान पहुंचने का दाग केंद्र सरकार कभी नहीं धो पाएगी।”
आंदोलन का व्यापक असर
किसानों ने साफ कर दिया है कि आंदोलन अब केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं रहेगा। इसे देश के हर राज्य और गांव तक पहुंचाने की योजना बनाई जा रही है। किसान नेता गांव-गांव जाकर बैठकें कर रहे हैं और लोगों से आंदोलन में शामिल होने की अपील कर रहे हैं।
आंदोलन के अगले कदम
10 जनवरी को देशभर में केंद्र सरकार के पुतले फूंके जाएंगे। 13 जनवरी को लोहड़ी के मौके पर मंडी मार्केटिंग एक्ट की प्रतियां जलाई जाएंगी। इसके बाद 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। किसान नेताओं ने कहा है कि हर गांव और हर व्यक्ति को इन कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए।
किसान आंदोलन अब एक बार फिर से तेजी पकड़ रहा है। 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च को लेकर किसानों की तैयारियां जोरों पर हैं। किसानों की मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में देखना होगा कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत का नया दौर कब शुरू होता है। आंदोलन का यह चरण देशभर में किसानों के साथ-साथ आम जनता के समर्थन को भी मजबूत करेगा।