दिल्ली-अमृतसर बुलेट ट्रेन: ज़मीन अधिग्रहण और सर्वे का कार्य शुरू
देश की राजधानी दिल्ली से पंजाब के अमृतसर तक बुलेट ट्रेन परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत ज़मीन अधिग्रहण का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार, यह बुलेट ट्रेन दिल्ली से हरियाणा और पंजाब के कुल 343 गाँवों के माध्यम से गुजरेगी।
ज़मीन अधिग्रहण और सर्वे का कार्य प्रगति पर बुलेट ट्रेन के लिए पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के गाँवों में ज़मीन अधिग्रहण किया जा रहा है। पंजाब के 186 गाँवों में से मोहाली के 39, जालंधर के 49, लुधियाना के 37, अमृतसर के 22, फतेहगढ़ साहिब के 25, कपूरथला के 12 और तरनतारन तथा रूपनगर के एक-एक गाँव में ज़मीन अधिग्रहण किया जाएगा। किसानों को उनकी ज़मीन का पाँच गुना मुआवजा प्रदान करने का प्रावधान है।
दिल्ली-अमृतसर बुलेट ट्रेन का मार्ग 465 किमी लंबे इस रूट पर ट्रेन दिल्ली से बहादुरगढ़, झज्जर, सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर होते हुए अमृतसर पहुंचेगी। इसमें कुल 15 स्टेशन होंगे। ट्रेन की अधिकतम गति 350 किमी प्रति घंटा और औसत गति 250 किमी प्रति घंटा होगी।
यात्रा का समय और लागत यह ट्रेन दिल्ली-अमृतसर के बीच 465 किमी की दूरी को केवल दो घंटे से भी कम समय में पूरा करेगी। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 61,000 करोड़ रुपये है।
बुलेट ट्रेन का लाभ इस ट्रेन के शुरू होने से दिल्ली और अमृतसर के बीच यात्रा का समय घटेगा और आधुनिक कनेक्टिविटी के साथ यह क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक रूप से उन्नत होगा। केंद्र सरकार की योजना 10 प्रमुख रूटों पर बुलेट ट्रेन चलाने की है, जिसमें यह प्रोजेक्ट एक अहम हिस्सा है।
पंजाब में प्रोजेक्ट का प्रभाव यह परियोजना पंजाब की पुरातन शान को बहाल करने में मदद करेगी। किसानों के लिए मुआवजे का उचित प्रावधान और रोजगार के नए अवसरों की संभावना इस प्रोजेक्ट की खासियत है। इससे न केवल लोगों का सफर आसान होगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
बुलेट ट्रेन की यह परियोजना देश के बुनियादी ढांचे को नई ऊँचाई तक ले जाने का संकेत है। उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट क्षेत्र की आर्थिक प्रगति और रोजगार सृजन में मील का पत्थर साबित होगा।