प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के पहले अमृत स्नान ने ऐतिहासिक पल रच दिया। मंगलवार को सुबह 6 बजे शुरू हुए इस शाही स्नान में 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। यह स्नान शाम 6 बजे तक चला, जिसमें सभी 13 अखाड़ों के संतों ने भी हिस्सा लिया। जूना अखाड़ा समेत अन्य संतों ने हर-हर महादेव के जयकारों के साथ संगम का पवित्र जल छुआ।
घाटों पर उमड़ा जनसैलाब
स्नान के बाद श्रद्धालु अपने-अपने गंतव्य की ओर लौटने लगे, जिससे रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर पैर रखने की भी जगह नहीं बची। यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर भेजने के लिए ट्रेनों के हिसाब से प्रबंधन किया गया। रेलवे PRO अमित सिंह ने बताया कि मंगलवार को अब तक 55 महाकुंभ स्पेशल ट्रेनें रवाना की गई हैं।
दिल का दौरा पड़ने से चार की मौत
भीड़ और ठंड के बीच सोमवार रात से मंगलवार तक 4 लोगों की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। इनमें से तीन मरीज स्वरूप रानी नेहरू (SRN) अस्पताल में और एक मेला केंद्रीय अस्पताल में भर्ती थे।
रैन बसेरों और होटलों में जगह नहीं
महाकुंभ के दौरान होटल और रैन बसेरों में जगह खत्म हो गई। हजारों की संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे सड़कों पर डेरा जमाने को मजबूर हुए। रैन बसेरों और होटलों के सामने भारी भीड़ देखी गई, लेकिन सभी जगहें फुल हो चुकी थीं।
दो दिनों में 5.15 करोड़ लोगों ने किया स्नान
पौष पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को पहले स्नान में 1.65 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई थी। मंगलवार को 3.5 करोड़ श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचे। इस तरह दो दिनों में कुल 5.15 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर महाकुंभ को यादगार बना दिया।
अमृत स्नान का नया नाम
इस बार शाही स्नान को “अमृत स्नान” नाम दिया गया है। अखाड़ों की ओर से नाम बदलने का प्रस्ताव किया गया था, जिसे स्वीकार किया गया। सुबह का नजारा अद्भुत था। संत तलवार, त्रिशूल और डमरू लेकर हर-हर महादेव का उद्घोष करते घाट पर पहुंचे।
महाकुंभ का यह पहला अमृत स्नान न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि भारत की संस्कृति और परंपरा की अद्भुत झलक भी पेश की।