महाकुंभ 2025 के दौरान साध्वी हर्षा रिछारिया अपनी खूबसूरती और ग्लैमर के कारण सोशल मीडिया पर सुर्खियों में हैं। लेकिन उनके माता-पिता का कहना है कि हर्षा ने संन्यास नहीं लिया है, बल्कि गुरु से केवल मंत्र दीक्षा ली है।
अध्यात्म की ओर झुकाव बचपन से
हर्षा के माता-पिता ने बताया कि उनका रुझान बचपन से ही अध्यात्म की ओर था। बिना पूजा किए वे स्कूल नहीं जाती थीं और पूजा के बाद ही नाश्ता करती थीं। ये उनकी दिनचर्या का हिस्सा था।
कुंभ से अध्यात्म की शुरुआत
हर्षा के परिवार ने पहली बार 2004 में उज्जैन के कुंभ में स्नान किया, जिसके बाद उनका अध्यात्म की ओर झुकाव और गहरा हो गया। तब से उनका परिवार उज्जैन में ही बस गया। हर्षा ने अपनी पढ़ाई यहीं पूरी की और बीबीए (BBA) किया।
करियर और ट्रोलिंग
हर्षा ने 18-19 साल की उम्र में एंकरिंग में कदम रखा। इसके अलावा उन्होंने कुछ सीरियल्स में भी काम किया है। उनके माता-पिता ने बताया कि एंकरिंग के दौरान उन्हें फॉर्मल और ग्लैमरस कपड़े पहनने पड़ते थे, जो उस प्रोफेशन की मांग थी। इसके चलते उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया गया, जिससे परिवार को दुख पहुंचता है।
शादी का सवाल
जब शादी के बारे में पूछा गया तो उनके माता-पिता ने बताया कि 2025 में उनकी शादी फाइनल हो सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2026 में शादी जरूर होगी।
संन्यास का खंडन
हर्षा और उनके परिवार ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने संन्यास नहीं लिया है। अध्यात्म की ओर झुकाव हर व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए, और यही हर्षा की प्रेरणा है।
यह कहानी एक साध्वी के संघर्ष और गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश का प्रतीक है, जहां वे खुद को अध्यात्म और करियर के बीच संतुलित कर रही हैं।