अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 15 जनवरी को ओवल ऑफिस से अपनी आखिरी फेयरवेल स्पीच दी, जिसमें उन्होंने देश के सामने कई अहम मुद्दों पर अपनी चिंता जाहिर की। बाइडेन ने कहा कि अमेरिका में बढ़ती असमानता और मुट्ठीभर रईसों का बढ़ता प्रभाव लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत है।
सुपर रिच लोगों का बढ़ता प्रभाव
जो बाइडेन ने अपनी स्पीच में अमेरिका के समाज में धनी लोगों के बढ़ते प्रभाव को खतरनाक बताया। उनका कहना था कि जब ताकत मुट्ठीभर लोगों के हाथों में सिमट जाती है, तो यह लोकतंत्र को कमजोर कर देती है और आम नागरिकों के बुनियादी अधिकारों पर खतरा बढ़ जाता है। बाइडेन ने जोर दिया कि देश को इस असंतुलन से बाहर निकलने की जरूरत है, ताकि हर किसी को समान अवसर मिल सके।
स्वतंत्र मीडिया का संकट
बाइडेन ने स्वतंत्र मीडिया की घटती ताकत पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आजकल प्रेस पर भारी दबाव है और स्वतंत्र मीडिया खत्म हो रही है। संपादक गायब हो रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। बाइडेन ने अमेरिका के विचार को दुनिया भर के विभिन्न पृष्ठभूमियों के लोगों का साझा योगदान बताया और न्यूयॉर्क में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का उदाहरण दिया।
लोकतंत्र का सम्मान
अपनी स्पीच में बाइडेन ने यह भी कहा कि अमेरिका होने का मतलब लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करना है। उनका कहना था कि अमेरिका में लोकतंत्र की मजबूत नींव खुला समाज और स्वतंत्र प्रेस है, जिसने देश को ढाई सौ साल तक मजबूती से खड़ा रखा है।
अपनी सरकार की उपलब्धियां
बाइडेन ने अपनी सरकार की कुछ प्रमुख उपलब्धियों का भी उल्लेख किया, जैसे नाटो को सशक्त करना, गन सेफ्टी कानूनों का लागू होना, और बुजुर्गों के लिए दवाइयों की कीमतों में कमी लाना। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के परिणाम आने वाले दशकों में स्पष्ट होंगे और देश को इनसे लाभ मिलेगा।
अंतिम संबोधन
यह जो बाइडेन का बतौर राष्ट्रपति आखिरी संबोधन था। 20 जनवरी को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम के बाद डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे।