दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और पुलिस के बीच एक बार फिर विवाद सामने आया है। आईटीओ स्थित प्यारे लाल भवन में “आप” सरकार की उपलब्धियों और चुनौतियों पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को दिल्ली पुलिस ने रुकवा दिया। यह डॉक्यूमेंट्री आज सुबह 11:30 बजे पत्रकारों को दिखाई जानी थी। इस पर आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को रोककर जनता से सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रही है।
आप का आरोप: बीजेपी को डॉक्यूमेंट्री से डर
आम आदमी पार्टी का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री में “आप” के नेताओं पर हुए कथित राजनीतिक उत्पीड़न और उनके जेल जाने से जुड़े घटनाक्रम को उजागर किया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “बीजेपी इस फिल्म से डरी हुई है। आखिर क्यों? इस फिल्म में ऐसा क्या है जिसे बीजेपी छुपाना चाहती है? यह फिल्म बीजेपी सरकार के गैरकानूनी और गैर-संवैधानिक कार्यों को जनता के सामने लाती है।”
आम आदमी पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि पूरे दिल्ली में थिएटर मालिकों को धमकाया गया ताकि वे इस डॉक्यूमेंट्री को स्क्रीन न करें। आप नेताओं ने इस घटना को लोकतंत्र का गला घोंटने वाला कदम करार दिया और कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक आवाज को दबाना चाहती है।
पुलिस का स्पष्टीकरण: चुनावी नियमों का उल्लंघन
वहीं, दिल्ली पुलिस ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि स्क्रीनिंग को रोकना किसी राजनीतिक पक्षपात का परिणाम नहीं है। डीसीपी ने कहा कि चूंकि दिल्ली में चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, ऐसे में कोई भी राजनीतिक आयोजन करने से पहले संबंधित दल को डीईओ (जिला निर्वाचन अधिकारी) कार्यालय से अनुमति लेनी होगी। पुलिस का कहना है कि यह आयोजन बिना अनुमति के किया जा रहा था, जो चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव के दौरान ऐसे नियम सभी राजनीतिक दलों पर समान रूप से लागू होते हैं। उन्होंने सभी पार्टियों से अपील की है कि वे चुनावी नियमों का पालन करें और किसी भी आयोजन के लिए उचित अनुमति लें।
क्या है डॉक्यूमेंट्री का उद्देश्य?
आम आदमी पार्टी द्वारा बनाई गई यह डॉक्यूमेंट्री पिछले 10 वर्षों के दौरान दिल्ली में “आप” सरकार द्वारा किए गए कार्यों, चुनौतियों और विपक्षी दलों से मिले राजनीतिक विरोध को उजागर करती है। इसमें विशेष रूप से पार्टी के नेताओं पर हुए मुकदमों, गिरफ्तारी और कथित झूठे आरोपों को शामिल किया गया है। पार्टी का दावा है कि यह फिल्म पर्दे के पीछे की सच्चाई को उजागर करती है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर
इस घटना ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। आप का कहना है कि भाजपा की केंद्र सरकार इस डॉक्यूमेंट्री को रोककर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन कर रही है। वहीं, भाजपा ने इस मामले पर कोई सीधा बयान नहीं दिया है, लेकिन पुलिस द्वारा नियमों के पालन की बात कही जा रही है।
चुनावी माहौल में नई गरमाहट
चुनावों के दौरान इस तरह की घटनाएं आमतौर पर राजनीतिक दलों के बीच तनाव को बढ़ा देती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी इस डॉक्यूमेंट्री को जनता तक पहुंचाने के लिए क्या कदम उठाती है और भाजपा इस पर क्या रुख अपनाती है।
इस घटना ने दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। एक ओर आम आदमी पार्टी इसे भाजपा द्वारा लोकतंत्र और सच्चाई को दबाने का प्रयास बता रही है, वहीं पुलिस इसे नियमों के उल्लंघन के तहत लिया गया कदम मान रही है। चुनावी माहौल में यह मुद्दा आने वाले दिनों में और अधिक तूल पकड़ सकता है।