अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कई सख्त और विवादित फैसले लिए हैं। इनमें सबसे प्रमुख फैसला जन्मजात नागरिकता (Birthright Citizenship) कानून को खत्म करने का है। यह कानून पिछले 150 सालों से लागू है, जो अमेरिका में जन्मे बच्चों को वहां की नागरिकता का अधिकार देता है, चाहे उनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक हों या नहीं।
जन्मजात नागरिकता कानून क्या है?
अमेरिका में 14वें संविधान संशोधन के तहत 1868 में यह कानून लागू किया गया था। इस कानून के अनुसार, अमेरिका में जन्मे हर बच्चे को जन्म के साथ ही अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है। इसका उद्देश्य हर व्यक्ति को समान अधिकार देना और नस्ल, जाति या पृष्ठभूमि के भेदभाव से बचाना था।
ट्रंप का फैसला और नई नीति
डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 में इस कानून को खत्म करने की घोषणा की। उनकी नई नीति के अनुसार, अब अमेरिका में पैदा होने वाले किसी भी बच्चे को वहां की नागरिकता तभी मिलेगी, जब:
1. माता-पिता में से कोई एक अमेरिकी नागरिक हो।
2. माता-पिता के पास ग्रीन कार्ड हो।
3. माता-पिता में से कोई एक अमेरिकी सेना का सदस्य हो।
इसका मतलब है कि अब अवैध अप्रवासियों के बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने पर भी नागरिकता नहीं मिलेगी।
फैसले का विरोध
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का व्यापक विरोध हो रहा है। अमेरिका के 22 राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी है। उन्होंने इसे संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन बताया है। न्यू जर्सी के अटॉर्नी जनरल मैट प्लैटकिन ने कहा, “राष्ट्रपति अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। वह एक कलम के झटके से इतने पुराने और महत्वपूर्ण संशोधन को समाप्त नहीं कर सकते।”
डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल और इमिग्रेंट राइट्स एक्टिविस्ट का कहना है कि यह फैसला न केवल गैर-न्यायसंगत है, बल्कि लाखों अप्रवासी परिवारों के भविष्य को प्रभावित करेगा।
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस ने इन विरोधों को वामपंथी विचारधारा का हिस्सा बताया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह फैसला अमेरिका की सुरक्षा और हितों को ध्यान में रखकर लिया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत में राज्यों के आरोपों का मजबूती से सामना किया जाएगा।
फैसले का असर
1. अप्रवासी परिवारों पर प्रभाव:
ट्रंप की नई नीति से अमेरिका में रहने वाले लाखों अवैध अप्रवासियों पर सीधा असर पड़ेगा। उनके बच्चों को अब जन्म के साथ नागरिकता नहीं मिलेगी।
2. संविधान संशोधन पर सवाल:
14वें संशोधन को खत्म करने की कोशिश ने कानूनी और नैतिक बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिका की मूलभूत संवैधानिक नीतियों के खिलाफ है।
3. सामाजिक और राजनीतिक तनाव:
इस फैसले से अमेरिका में नस्लीय और सामाजिक तनाव बढ़ सकता है। अप्रवासी अधिकार संगठनों ने इस फैसले को मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है।
4. वैश्विक छवि:
इस फैसले से अमेरिका की लोकतांत्रिक छवि को भी झटका लग सकता है।
इतिहास में जन्मजात नागरिकता का महत्व
1868 में लागू किया गया यह कानून उस समय लाए गए सुधारों का हिस्सा था, जब अमेरिका नस्लीय भेदभाव और गुलामी के बाद समानता की ओर कदम बढ़ा रहा था। यह कानून समानता, स्वतंत्रता और सभी को समान अधिकार देने के सिद्धांत पर आधारित था।
डोनाल्ड ट्रंप का जन्मजात नागरिकता कानून खत्म करने का फैसला न केवल संवैधानिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी बेहद विवादास्पद है। इस फैसले से लाखों अप्रवासी परिवारों की जिंदगी प्रभावित होगी और अमेरिका के संविधान पर भी सवाल खड़े होंगे। अदालत में इस फैसले का विरोध क्या परिणाम लाएगा, यह आने वाला समय बताएगा। लेकिन फिलहाल यह मुद्दा अमेरिका की राजनीति और समाज में बड़ा विवाद बन चुका है।