अमेरिका में अवैध भारतीय प्रवासी: ट्रंप प्रशासन की सख्ती, भारत तैयार
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू हो गई है। इसका असर उन भारतीयों पर भी पड़ रहा है, जो बिना वैध दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं। इन हालातों ने भारतीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है, वहीं भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
भारत का रुख साफ
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली, अमेरिका सहित किसी भी देश में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों की वैध वापसी के लिए तैयार है। उन्होंने वाशिंगटन डीसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट किया, “यदि हमारे नागरिक विदेश में कानूनी रूप से नहीं रह रहे हैं और उनकी भारतीय नागरिकता सुनिश्चित है, तो हम उन्हें वैध तरीके से वापस लाने के लिए तैयार हैं।”
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत अवैध प्रवास का विरोध करता है, क्योंकि यह न केवल प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है बल्कि अवैध गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों से इस मुद्दे पर चर्चा की और कहा कि भारत कौशल और प्रतिभा की कानूनी गतिशीलता का समर्थन करता है ताकि भारतीयों को वैश्विक स्तर पर अवसर मिलें।
अमेरिका में अवैध भारतीय प्रवासी
अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम इनफोर्समेंट (ICE) के अनुसार, अमेरिका में लगभग 20,407 भारतीय ऐसे हैं जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। इनमें से 2,467 भारतीय डिटेंशन कैंपों में बंद हैं। ICE के आंकड़ों के मुताबिक, इन भारतीयों पर ट्रंप प्रशासन की नजर है, और इन्हें कभी भी ‘फाइनल रिमूवल ऑर्डर’ जारी कर भारत वापस भेजा जा सकता है।
प्यू रिसर्च की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में भारतीय तीसरे सबसे बड़े समुदाय हैं जिन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है। इस सूची में पहले नंबर पर मेक्सिकन और दूसरे स्थान पर सल्वाडोर के नागरिक हैं।
डिपोर्टेशन के आंकड़े
साल 2024 में अमेरिका ने इमिग्रेशन और कस्टम विभाग के तहत 2.7 लाख प्रवासियों को 192 देशों में डिपोर्ट किया। इनमें 1,529 भारतीय नागरिक शामिल थे। अमेरिका ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ अपनी सख्ती बढ़ा दी है, जिसका असर भारतीय समुदाय पर भी पड़ रहा है।
भारत की चिंता और तैयारी
अवैध प्रवासियों की वापसी के लिए भारत तैयार है, लेकिन यह मामला दोनों देशों के बीच सहयोग और सही प्रक्रिया पर निर्भर करेगा। जयशंकर ने कहा कि अवैध प्रवास भारत की छवि को नुकसान पहुंचाता है, और इसे रोकने के लिए कदम उठाना जरूरी है।
यह मुद्दा न केवल प्रवासियों की स्थिति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत-अमेरिका के संबंधों में भी चर्चा का विषय बन गया है।