पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट को राज्य के लिए पूरी तरह निराशाजनक करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बजट देश की जरूरतों को पूरा करने के बजाय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजनीतिक हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, विशेष रूप से आगामी बिहार चुनावों को ध्यान में रखते हुए।
पंजाब की मांगों को किया गया नजरअंदाज
पंजाब भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि 20 दिसंबर 2024 को राजस्थान के जैसलमेर में हुई प्री-बजट बैठक में पंजाब द्वारा रखी गई एक भी मांग को बजट में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भाजपा के साथ गठबंधन वाले राज्यों को विशेष तरजीह दी, जबकि अन्य राज्यों की जरूरतों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष पैकेज की मांग ठुकराई
चीमा ने बताया कि पंजाब की पाकिस्तान के साथ 500 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जिसके चलते राज्य सरकार ने पुलिस बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 1000 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। साथ ही, पंजाब के पांच सीमावर्ती जिलों में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष पैकेज की मांग भी अनसुनी कर दी गई।
रेलवे सेवाओं की पुरानी मांग भी नहीं मानी गई
पंजाब सरकार ने राजपुरा से चंडीगढ़ रेलवे लाइन को मंजूरी देने और अमृतसर एवं बठिंडा से दिल्ली तक वंदे भारत रेल सेवाएं शुरू करने की मांग की थी, लेकिन बजट में इस पर भी कोई चर्चा नहीं की गई।
एमएसपी गारंटी पर चुप्पी
जब मीडिया ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी पर सवाल किया तो चीमा ने भाजपा सरकार पर पंजाब के प्रति दुर्भावना रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब केंद्रीय पूल में 21% चावल और 51% गेहूं का योगदान देता है, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों को फसल विविधता अपनाने के लिए सहायता देने से भी इनकार कर दिया।
इसके अलावा, पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए राज्य-केंद्र फार्मूला पेश किया गया था, लेकिन इस पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीण विकास फंड और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बकाया फंड को जारी करने पर भी केंद्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया।
किसानों की आय बढ़ाने पर नहीं दिया ध्यान
चीमा ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सीमा तो बढ़ा दी, लेकिन किसानों की आय बढ़ाने पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इससे किसान कर्ज में और ज्यादा डूब जाएंगे।
मिड-डे मील और आंगनवाड़ी वर्करों की मांगें भी अनसुनी
पंजाब सरकार ने मिड-डे मील वर्करों के वेतन को 600 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये प्रति माह करने की मांग की थी, लेकिन यह भी बजट में शामिल नहीं किया गया। इसके अलावा, आंगनवाड़ी वर्करों के वेतन वृद्धि की मांग को भी नजरअंदाज कर दिया गया।
पंजाब के साथ भेदभाव का आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार द्वारा पंजाब के प्रति जताया गया प्यार केवल बयानबाजी है, हकीकत में केंद्र सरकार का रवैया राज्य के प्रति सौतेला है।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने कई बार केंद्र सरकार के सामने अपनी मांगों को मजबूती से रखा, लेकिन बजट में किसानों, व्यापारियों और उद्योगपतियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। पंजाब सरकार अब राज्य की जनता के हितों की रक्षा के लिए अपने स्तर पर मजबूत योजनाएं बनाएगी और केंद्र के अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाएगी।