चंडीगढ़ प्रेस क्लब ने दिल्ली पुलिस की उन कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की है, जिनके तहत दिल्ली विधानसभा चुनावों को कवर करने गए क्षेत्रीय पत्रकारों को परेशान किया गया। प्रेस क्लब ने दिल्ली पुलिस के इस कदम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला और पत्रकारों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया। जब पत्रकारों ने अपनी आधिकारिक पहचान पत्र दिखाए, तो उन्हें रिपोर्टिंग करने से रोका गया। इतना ही नहीं, पत्रकारों को रातभर पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा गया, जो कि पूरी तरह से अनुचित और अस्वीकार्य था। यह घटना प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है और यह दर्शाता है कि मीडिया को काम करने में कितनी कठिनाइयाँ आ सकती हैं, खासकर जब अधिकारियों द्वारा ऐसे उत्पीड़न की घटनाएं होती हैं।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब ने इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारों को अपनी जिम्मेदारी निभाने में किसी प्रकार की बाधा नहीं डाली जानी चाहिए। क्लब ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक बताया और इसकी कड़ी आलोचना की। क्लब ने इस मुद्दे पर एक तत्काल जांच की मांग की और अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि मीडिया पेशेवरों को उनके कर्तव्यों को निभाने में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब के सचिव-जनरल उमेश शर्मा ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि इस तरह की घटनाएँ पत्रकारिता के लिए खतरे की घंटी हैं। उन्होंने कहा कि जब पत्रकार अपना काम करने के लिए किसी क्षेत्र में जाते हैं, तो उन्हें सभी तरह की सुविधाएँ और सुरक्षा मिलनी चाहिए, न कि उत्पीड़न और दबाव। शर्मा ने कहा कि मीडिया को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार है और इसे सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियाँ निभानी चाहिए।
यह घटना यह साबित करती है कि जब तक प्रेस स्वतंत्रता सुरक्षित नहीं रहती, तब तक लोकतंत्र और जनतांत्रिक मूल्यों की रक्षा भी मुश्किल होती है। प्रेस क्लब ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे भी अपनी आवाज उठाने का संकल्प लिया है।