पंजाब विधान सभा की प्रेस गैलरी समिति ने 2 फरवरी 2025 को एक शर्मनाक घटना का कड़ा संज्ञान लिया है, जिसमें दिल्ली पुलिस ने दिल्ली विधानसभा चुनावों की कवरज करने आए पंजाब के पत्रकारों के साथ अमानवीय व्यवहार किया। इस घटना के तहत, पंजाब के पत्रकारों को दिल्ली पुलिस ने तुगलक रोड पुलिस थाने में 8 घंटों तक अवैध रूप से हिरासत में रखा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
प्रेस गैलरी समिति के अध्यक्ष अश्वनी चावला ने इस कृत्य को लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया और इसे चुनावी कवरज करने वाले पत्रकारों के अधिकारों पर सीधा हमला माना। चावला ने बताया कि पंजाब के पत्रकारों ने चुनाव के दौरान एक राजनीतिक संगठन द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए शराब और अन्य सामग्री वितरित करने की जानकारी प्राप्त की थी, जो पूरी तरह से आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन था। जब पत्रकारों ने इस घिनौनी गतिविधि का खुलासा करने की कोशिश की, तो कुछ शरारती तत्वों ने उनका विरोध किया और उन्हें कवरज से रोकने की कोशिश की।
पंजाब के पत्रकारों ने तुरंत दिल्ली पुलिस को सूचित किया, लेकिन इसके बजाय पुलिस ने पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया। उन्हें अपने प्रेस पहचान पत्र के बावजूद पुलिस थाने में अवैध रूप से हिरासत में लिया गया। इस घटना के दौरान, पंजाब विधान सभा प्रेस गैलरी समिति के एक सदस्य भी हिरासत में थे। पत्रकारों को 8 घंटों से अधिक समय तक थाने में रखा गया और केवल तब रिहा किया गया जब मीडिया में इस घटना के बारे में खबर फैल गई।
अश्वनी चावला ने इस घटनाक्रम पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त से अपील की कि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि पत्रकारों को अपनी ड्यूटी निभाने के दौरान कोई रुकावट न आए। उन्होंने यह भी कहा कि इस कृत्य के लिए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
चावला ने आगे कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और पत्रकारों को अपनी जिम्मेदारियां निभाने से रोकना पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक है। मीडिया कर्मियों को दबाने और उन्हें उनके काम से रोकने का प्रयास लोकतंत्र की बेइज्जती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना न केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि पूरे लोकतंत्र की नींव पर चोट करने जैसा है।
इस घटना के बाद चंडीगढ़ प्रेस क्लब ने भी दिल्ली पुलिस के इस कृत्य की कड़ी निंदा की है और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। क्लब ने कहा कि अगर इस तरह की घटनाएं जारी रहती हैं तो पत्रकारों की कामकाजी स्थिति और उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ सकते हैं।
समिति ने दिल्ली पुलिस से यह भी पूछा कि पत्रकारों के साथ हुई इस दुर्व्यवहार की जिम्मेदारी कौन लेगा, और क्या पुलिस इस बात की गारंटी देती है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं नहीं होंगी। चावला ने कहा कि पंजाब के पत्रकार लोकतंत्र के लिए काम कर रहे हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारी निभाने के दौरान कोई खौफ नहीं होना चाहिए।
यह घटना पत्रकारिता की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़ा करती है, और यह समय की मांग है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा इस पर गहरी जांच की जाए और उचित कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी शर्मनाक घटनाओं को रोका जा सके।