सोमवार को भारतीय मुद्रा (Indian Rupee) ने एक नया रिकॉर्ड लो-लेवल बना दिया, जब यह 87.29 प्रति डॉलर तक गिर गया। हालांकि, दिन के अंत में इसमें हल्की रिकवरी हुई और यह 87.17 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपये में आई इस तेज़ गिरावट ने आर्थिक जगत और निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। वहीं, वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि रुपये की स्थिति को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसके उतार-चढ़ाव को नियंत्रित कर रहा है।
रुपये में गिरावट के पीछे की वजहें
- फॉरेन फंड आउटफ्लो (विदेशी पूंजी का बाहर जाना)
- हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजार से बड़ी मात्रा में पैसा निकाला है।
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती और बढ़ते ब्याज दरों के कारण निवेशक भारतीय बाजार से बाहर जा रहे हैं।
- वैश्विक आर्थिक अस्थिरता
- अमेरिका और यूरोप में बढ़ती महंगाई दर और अर्थव्यवस्था की धीमी गति ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है।
- इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व संकट ने भी वैश्विक बाजारों पर असर डाला है।
- डॉलर की मजबूती
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से डॉलर की मांग बढ़ गई है।
- डॉलर इंडेक्स में मजबूती आने से अन्य सभी मुद्राओं, खासकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी पर दबाव बढ़ गया है।
- तेल की कीमतों में बढ़ोतरी
- भारत कच्चे तेल (Crude Oil) का सबसे बड़ा आयातक है।
- कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से डॉलर की मांग बढ़ती है, जिससे रुपये पर दबाव आता है।
सरकार और RBI क्या कदम उठा सकते हैं?
- डॉलर की आपूर्ति बढ़ाना
- RBI अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का इस्तेमाल करके बाजार में डॉलर की आपूर्ति बढ़ा सकता है, जिससे रुपये पर दबाव कम होगा।
- ब्याज दरों में बदलाव
- भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाकर निवेशकों को भारतीय बाजार में वापस ला सकता है, जिससे रुपये की मांग बढ़ेगी।
- फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में दखल
- RBI इंटरवेंशन (Intervention) करके रुपये की तेज़ गिरावट को नियंत्रित कर सकता है।
- निर्यात को बढ़ावा देना
- सरकार भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियां लागू कर सकती है, जिससे देश में डॉलर की आमदनी बढ़ेगी।
रुपये की गिरावट भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है, लेकिन यह पूरी तरह नियंत्रण से बाहर नहीं है। सरकार और RBI इस स्थिति को सुधारने के लिए लगातार उपाय कर रहे हैं। हालांकि, अमेरिका और वैश्विक बाजारों में हो रहे बदलाव रुपये की स्थिति पर असर डालते रहेंगे। अगले कुछ दिनों में रुपये की चाल पर निवेशकों और बाजार की पैनी नजर रहेगी।