अमेरिका में अवैध रूप से दाखिल हुए 104 भारतीयों को वहां की सरकार ने डिपोर्ट कर दिया। बुधवार को अमेरिकी सेना का विमान इन सभी भारतीयों को लेकर अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। यह मामला अब संसद में भी चर्चा का विषय बन गया है, जहां विपक्षी दलों ने सरकार से इस पर जवाब मांगा।
संसद में उठा मामला, विपक्ष ने किया हंगामा
इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि डिपोर्ट किए गए भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया, उन्हें बेड़ियों में जकड़ा गया और उनका अपमान किया गया। उन्होंने इसे भारत की विदेश नीति और मानवाधिकारों से जुड़ा गंभीर मामला बताया।
हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह विदेश नीति से जुड़ा मामला है और दोपहर 12 बजे प्रश्नकाल के बाद इस पर चर्चा की जा सकती है। दूसरी ओर, राज्यसभा में भी कांग्रेस, सीपीआई, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसदों ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा और हंगामा किया।
किन राज्यों के लोग लौटे?
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में सबसे ज्यादा 33 लोग हरियाणा के हैं।
- इनमें कैथल जिले के 11 लोग शामिल हैं।
- सात युवा ऐसे हैं जिनकी उम्र 20 साल से भी कम है।
- तीन महिलाएं भी इस समूह में शामिल थीं।
अमेरिका से क्यों किया गया डिपोर्ट?
अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोगों के खिलाफ जो बाइडेन सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। अमेरिकी प्रशासन ऐसे लोगों को डिपोर्ट कर उनके मूल देश वापस भेज रहा है। भारत से हजारों लोग हर साल अमेरिका जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनमें से कई गलत तरीकों से प्रवेश करने के कारण पकड़े जाते हैं।
भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में विदेश मंत्रालय के जरिए अमेरिकी प्रशासन से बातचीत करनी चाहिए थी, लेकिन कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
- भारत सरकार डिपोर्ट किए गए नागरिकों से पूछताछ करेगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- इस मुद्दे को लेकर संसद में आगे भी चर्चा जारी रह सकती है।
- अमेरिका में रह रहे अन्य भारतीयों को कानूनी तरीकों से ही वहां रहने की सलाह दी गई है।
यह मामला भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते प्रवासी मुद्दों को दर्शाता है। संसद में इस पर चर्चा से साफ है कि विपक्ष सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहा है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है और भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।