चंडीगढ़, 7 फरवरी: पंजाब के बिजली और लोक निर्माण मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की दार्शनिक विरासत भारत में सामाजिक न्याय और समानता के निर्माण के लिए आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने और समावेशी समाज बनाने में डॉ. अंबेडकर के विचारों का पालन करना आवश्यक है।
हरभजन सिंह ई.टी.ओ. पंजाब यूनिवर्सिटी में आयोजित “डॉ. बी.आर. अंबेडकर की दार्शनिक विरासत और सामाजिक न्याय के लिए भारत के प्रयास” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर का दृष्टिकोण केवल कानूनी सुधारों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह नैतिक और सामाजिक परिवर्तन का संदेश भी देता था।
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सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में डॉ. अंबेडकर के प्रयास
अपने संबोधन में मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने बताया कि डॉ. अंबेडकर का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज से सामाजिक भेदभाव को समाप्त करना और सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना था। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में डॉ. अंबेडकर ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की भावना को बढ़ावा दिया और इसे संवैधानिक ढांचे में मजबूती से स्थापित किया।
उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. अंबेडकर का योगदान केवल दलित समुदाय तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज के हर वर्ग के लिए काम किया। उनका मानना था कि जब तक सभी को समान अधिकार और अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक वास्तविक लोकतंत्र संभव नहीं होगा।
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महिलाओं के अधिकारों के लिए डॉ. अंबेडकर के योगदान को किया गया याद
हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए डॉ. अंबेडकर द्वारा किए गए प्रयासों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर महिलाओं की समानता में विश्वास रखते थे और उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और उन्नति के लिए कानूनी सुधारों पर जोर दिया। उनकी सोच ने ही आगे चलकर हिंदू कोड बिल जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों की नींव रखी, जिससे महिलाओं को संपत्ति और विवाह से जुड़े अधिकार मिले।
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जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने की अपील
हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने सेमिनार के दौरान कहा कि डॉ. अंबेडकर की विचारधारा केवल इतिहास का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह आज भी प्रशासन, नीतियों और सामाजिक आंदोलनों को मार्गदर्शन देती है।
उन्होंने सभी से जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने और समाज में समान अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें भाईचारे और एकता को बढ़ावा देना चाहिए और समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को सशक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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राज्य की भूमिका और सामाजिक न्याय का महत्व
हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का मानना था कि सरकार को समाज में समानता और सामाजिक न्याय स्थापित करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक न्याय ही एक स्थिर और खुशहाल समाज की नींव है। यदि समाज में किसी भी वर्ग के साथ अन्याय होता है, तो यह पूरे देश की प्रगति को प्रभावित करता है। इसलिए, हमें सभी को समान अवसर देने के लिए कानूनी और सामाजिक बदलाव लाने होंगे।
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हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने अपने भाषण का समापन डॉ. अंबेडकर के विचारों की महत्ता को दोहराते हुए किया। उन्होंने कहा कि यदि हम डॉ. अंबेडकर के सिद्धांतों को अपने जीवन और नीतियों में लागू करें, तो हम एक सशक्त, समान और समावेशी समाज का निर्माण कर सकते हैं।
यह सेमिनार डॉ. अंबेडकर के विचारों को समझने और उन्हें समाज में लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। मंत्री ने कहा कि समाज में समानता और न्याय लाने के लिए डॉ. अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।