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एसएएस नगर जिले के डेराबस्सी उपमंडल में स्थित बनूर वीयर की डी-सिल्टिंग (गाद निकालने) प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए एसडीएम डेराबस्सी अमित गुप्ता ने ड्रेनेज और खनन अधिकारियों के साथ साइट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने खनन गतिविधियों की निगरानी को और कड़ा करने, ड्रोन सर्वेक्षण कराने और अवैध खनन को रोकने के निर्देश दिए।
निरीक्षण का उद्देश्य क्या था?
डिप्टी कमिश्नर आशिका जैन के निर्देशों के तहत, इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य बनूर वीयर डी-सिल्टिंग कार्यों में पारदर्शिता और निगरानी को मजबूत बनाना था। एसडीएम ने अधिकारियों को कई सख्त निर्देश दिए, ताकि अवैध खनन रोका जा सके और सरकार को राजस्व की हानि न हो।
डी-सिल्टिंग कार्य क्यों जरूरी है?
बनूर वीयर घग्गर नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पिछले कुछ वर्षों से इस वीयर में बड़ी मात्रा में गाद जमा हो गई थी, जिससे इसकी जल भंडारण क्षमता घटने लगी थी।
2023-24 के बाढ़ सीजन में देखा गया कि बनूर वीयर का जल स्तर बहुत अधिक बढ़ गया था, जिससे आसपास के गांवों बकरपुर, परागपुर, शताबगढ़, छतबीर और रामपुर कलां को बाढ़ का खतरा पैदा हो गया था। इस समस्या को हल करने के लिए, 5771132 क्यूबिक फीट (सीएफटी) की खुदाई की अनुमति दी गई है, जिससे सरकार को 302.98 लाख रुपये का राजस्व मिलेगा।
डी-सिल्टिंग कार्यों की निगरानी कैसे होगी?
एसडीएम डेराबस्सी अमित गुप्ता ने खनन अधिकारियों को मौजूदा निगरानी प्रणाली को मजबूत करने के आदेश दिए।
1. ड्रोन सर्वेक्षण का आदेश
डी-सिल्टिंग कार्य को पारदर्शी बनाने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण कराया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई अवैध खुदाई न हो।
2. सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
अब खनन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों की निगरानी की सुविधा जिला प्रशासन को भी उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि अधिकारियों को हर गतिविधि की जानकारी मिल सके।
3. दिन में ही होगा खनन कार्य
सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक ही खुदाई की अनुमति होगी।
शाम 6 बजे के बाद किसी भी तरह की खुदाई पूरी तरह से प्रतिबंधित होगी।
दिन के अंत में केवल रेत, बजरी और मिट्टी से भरे वाहनों को ही बाहर जाने दिया जाएगा, लोडिंग की अनुमति नहीं होगी।
4. पुलिस और प्रशासन की सख्ती
एसडीएम ने स्थानीय पुलिस को आदेश दिया है कि क्षेत्र में लगातार निगरानी रखें, ताकि कोई भी अवैध खनन गतिविधि न हो सके।
बनूर वीयर डी-सिल्टिंग से क्या फायदे होंगे?
1. जल भंडारण क्षमता बढ़ेगी, जिससे बाढ़ के खतरे को कम किया जा सकेगा।
2. घग्गर नदी का जल प्रवाह सुचारू होगा, जिससे आसपास के गांवों को बाढ़ से राहत मिलेगी।
3. सरकार को 302.98 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होगा, जिससे खनन और जल प्रबंधन योजनाओं में सुधार होगा।
4. अवैध खनन पर रोक लगेगी, जिससे सरकारी नियमों का सही से पालन होगा।
बनूर वीयर डी-सिल्टिंग परियोजना सरकार के जल प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन की सख्त निगरानी और तकनीकी उपायों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अवैध खनन न हो और परियोजना पूरी पारदर्शिता के साथ संचालित हो। इस कदम से न केवल जल स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, बल्कि सरकार को राजस्व भी मिलेगा और बाढ़ से प्रभावित होने वाले गांवों को राहत मिलेगी।