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हाथरस के सत्संग में हुई भगदड़ और 121 लोगों की मौत के मामले में न्यायिक जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार, यह रिपोर्ट गुरुवार को कैबिनेट में रखी गई और इसे सदन में पेश करने की मंजूरी मिल गई है।
भोले बाबा को क्लीन चिट, पुलिस और आयोजक जिम्मेदार
जांच में सत्संग करने वाले नारायण साकार हरि भोले बाबा (सूरजपाल) को किसी भी तरह की गलती से क्लीन चिट दी गई है। इससे पहले एसआईटी (SIT) की रिपोर्ट में भी बाबा को निर्दोष बताया गया था। हालांकि, न्यायिक आयोग ने इस हादसे के लिए पुलिस की लापरवाही और आयोजकों की गलतियों को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया है।
आयोजन में लापरवाही और सुरक्षा चूक
रिपोर्ट के अनुसार, सत्संग कार्यक्रम में भीड़ ज्यादा थी, लेकिन व्यवस्था मजबूत नहीं थी। आयोजकों ने कार्यक्रम की अनुमति तो ली थी, लेकिन नियमों का पालन नहीं किया गया। इसके अलावा, पुलिस ने भी सत्संग स्थल पर सुरक्षा की सही व्यवस्था नहीं की, जिससे भगदड़ जैसी घटना हुई।
भविष्य के लिए आयोग के सुझाव
न्यायिक आयोग ने आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई सुझाव दिए हैं, जैसे:
सख्त निगरानी: पुलिस अधिकारियों को हर आयोजन स्थल का निरीक्षण करना चाहिए।
अनुमति के नियम: आयोजकों को जो शर्तें दी जाती हैं, उन्हें सख्ती से लागू किया जाए।
उल्लंघन पर सजा: अगर आयोजक नियमों का पालन न करें, तो उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान हो।
कैसे हुआ हादसा?
यह दर्दनाक हादसा 2 जुलाई को हुआ था, जब सिकंदराराऊ के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में नारायण साकार हरि भोले बाबा के सत्संग में भारी भीड़ उमड़ी थी। सत्संग खत्म होने के बाद, बाबा का काफिला निकालने के लिए सेवादारों ने भीड़ को रोक दिया। इसी दौरान, बाबा के भक्त उनके चरणों की धूल (चरण रज) लेने के लिए आगे बढ़ने लगे और भगदड़ मच गई। इस हादसे में 121 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए।
जांच और कार्रवाई
इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने 3 जुलाई को उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया था। इसके अलावा, पुलिस ने मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य सेवादारों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया। उन पर गैर इरादतन हत्या, जानलेवा हमला, गंभीर चोट पहुंचाने, लोगों को बंधक बनाने, निषेधाज्ञा (धारा 144) का उल्लंघन करने और साक्ष्य छिपाने जैसी धाराओं में केस दर्ज किया गया। पुलिस अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
इस रिपोर्ट से साफ है कि हादसे की मुख्य वजह आयोजकों की लापरवाही और सुरक्षा में चूक थी। न्यायिक आयोग ने सरकार को कई अहम सुझाव दिए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। अब देखना होगा कि सरकार इन सिफारिशों को कैसे लागू करती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।