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हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन शिव भक्त विशेष पूजा-अर्चना और व्रत रखते हैं। 2025 की महाशिवरात्रि खास होने वाली है, क्योंकि इस बार एक दुर्लभ योग बन रहा है, जो 149 साल बाद आ रहा है।
महाशिवरात्रि पर बन रहा है महासंयोग
हिंदू ज्योतिष के अनुसार, इस बार सूर्य, बुध और शनि तीनों ग्रह एक साथ कुंभ राशि में रहेंगे। यह विशेष संयोग आखिरी बार 1865 में बना था। ज्योतिष के अनुसार, यह महासंयोग भक्तों के लिए शुभ फलदायी होगा।
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत और रात्रि जागरण करने से शिव कृपा प्राप्त होती है।
चारों प्रहर की पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि की रात चार प्रहरों में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस बार पूजा के शुभ समय इस प्रकार हैं:
1. प्रथम प्रहर पूजा – शाम 06:19 बजे से रात 09:26 बजे तक
2. द्वितीय प्रहर पूजा – रात 09:26 बजे से मध्यरात्रि 12:34 बजे तक
3. तृतीय प्रहर पूजा – मध्यरात्रि 12:34 बजे से 27 फरवरी, प्रातः 03:41 बजे तक
4. चतुर्थ प्रहर पूजा – 27 फरवरी, प्रातः 03:41 बजे से प्रातः 06:48 बजे तक
कैसे करें महाशिवरात्रि की पूजा?
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
मंदिर जाकर शिवलिंग का जल, दूध, शहद और बेलपत्र से अभिषेक करें।
पूरे दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखें।
रात में चारों प्रहर की पूजा करें और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
महाशिवरात्रि कथा सुनें और भगवान शिव की आरती करें।
इस महासंयोग का प्रभाव
ज्योतिषियों के अनुसार, यह महासंयोग भक्तों के लिए बेहद शुभ होगा। विशेष रूप से कुंभ, मकर, वृषभ, कन्या और तुला राशि के जातकों को इस महासंयोग का अधिक लाभ मिलेगा।
2025 की महाशिवरात्रि एक ऐतिहासिक अवसर है, जो 149 साल बाद आ रहा है। इस दिन की गई पूजा और व्रत भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। शिवजी की कृपा पाने के लिए सच्चे मन से भक्ति करें और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। हर हर महादेव!