
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने अकाली दल द्वारा जत्थेदार साहिबान को अनौपचारिक रूप से हटाने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस कदम को बदले की भावना से लिया गया अनुचित निर्णय करार दिया और कहा कि यह पूरे सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाला है।
राजनीति का धार्मिक मामलों में दखल
मुख्यमंत्री ने कहा कि धार्मिक नेताओं को राजनीति के प्रभाव में लाकर हटाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अकालियों ने श्री अकाल तख्त साहिब के सामने संगतों के बीच अपने पापों के लिए माफी मांगी थी, लेकिन अब वे जत्थेदार साहिबान को लगातार निशाना बना रहे हैं। भगवंत मान ने इस फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और कहा कि यह पूरे सिख समुदाय के लिए चिंता का विषय है।
अकाली नेतृत्व पर गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि अकाली दल अपने पुराने अपराधों से बचने के लिए जत्थेदारों को हटाने का खेल खेल रहा है। उन्होंने कहा कि अकाली दल का यह कदम सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए उठाया गया है और इससे सिख संगत में भारी नाराजगी है। भगवंत मान ने स्पष्ट किया कि अकाली नेताओं को जनता पहले ही नकार चुकी है, इसलिए अब वे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं।
अंतरिम समिति का कार्यकाल खत्म
मुख्यमंत्री ने कहा कि जत्थेदार साहिब को हटाने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की अंतरिम समिति का कार्यकाल लगभग एक दशक पहले ही समाप्त हो चुका है। उन्होंने बताया कि शिरोमणि कमेटी के चुनाव लंबे समय से नहीं हुए, जिससे यह साफ है कि मौजूदा समिति के पास अब कोई वैध अधिकार नहीं बचा। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर भारत सरकार से तुरंत चुनाव कराने की मांग की ताकि राज्य के गुरुद्वारों को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त किया जा सके।
जत्थेदार साहिब का सम्मान जरूरी
भगवंत मान ने कहा कि जत्थेदार साहिब पूरे सिख समुदाय के लिए अत्यंत सम्माननीय व्यक्तित्व हैं और उनके साथ इस तरह का अन्यायपूर्ण व्यवहार अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि यह समय सिख संगत को एकजुट होकर अपनी धार्मिक संस्थाओं की रक्षा करने का है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के अनुसार, जत्थेदार साहिबान को हटाने का फैसला पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है। उन्होंने अकालियों की इस हरकत की निंदा करते हुए इसे सिख समुदाय के खिलाफ एक बड़ा अन्याय करार दिया। साथ ही, उन्होंने भारत सरकार से SGPC चुनाव जल्द कराने की अपील की ताकि राजनीतिक दखलअंदाजी को खत्म किया जा सके और धार्मिक संस्थाओं की गरिमा बनी रहे।