
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को अचानक उनके पद से हटा दिया। इस फैसले से देश और विदेश में सिख संगत में भारी गुस्सा है। सिख समाज इसे पंथ के खिलाफ साजिश मान रहा है और शिरोमणि अकाली दल (बादल गुट) पर इसका आरोप लगाया जा रहा है। इस फैसले के विरोध में कई वरिष्ठ अकाली नेताओं ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है, जिससे बादल गुट की स्थिति और कमजोर होती जा रही है।
दल खालसा का SGPC पर तीखा हमला
सिख संगठन ‘दल खालसा’ ने जत्थेदारों को हटाने के इस फैसले की निंदा की है। संगठन के नेताओं परमजीत सिंह मंड, परमजीत सिंह टांडा और कंवरपाल सिंह ने इसे सिख इतिहास का काला अध्याय बताया। उनका कहना है कि जब तक जत्थेदारों की नियुक्ति और बर्खास्तगी की कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं होगी, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। इससे पहले भी कई जत्थेदारों को हटाया गया है क्योंकि उन्होंने अकाली दल बादल की राजनीति का समर्थन नहीं किया था।
सिख जत्थेबंदियों का SGPC के खिलाफ विरोध
सिख सम्मान से जुड़ी एक और संस्था ‘गुरु ग्रंथ साहिब सत्कार कमेटी’ ने भी इस फैसले का कड़ा विरोध किया। अमृतसर में हॉल गेट पर विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने अकाली दल के नेताओं सुखबीर बादल और विरसा वाल्टोहा के पुतले जलाए। संस्था के प्रमुख भाई बलबीर सिंह मुच्छल ने आरोप लगाया कि जत्थेदारों को इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने सिख समाज के हित में फैसले लिए थे, जो बादल दल को मंजूर नहीं थे।
दिल्ली के सिखों का SGPC के फैसले पर कड़ा एतराज
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने भी SGPC के इस फैसले की आलोचना की। उनका कहना है कि SGPC केवल सुखबीर बादल की अध्यक्षता बचाने के लिए ऐसे फैसले कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाया गया और अब ज्ञानी रघबीर सिंह और ज्ञानी सुल्तान सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। यह सिख परंपराओं के खिलाफ है और इसका खामियाजा आगामी चुनावों में अकाली दल को भुगतना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी इस फैसले को गलत बताया और इसे ‘बदले की भावना’ से उठाया गया कदम करार दिया। राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने कहा कि इस फैसले से सिख समाज की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने SGPC से इस फैसले पर सफाई देने की मांग की।
शिरोमणि अकाली दल में बढ़ती दरार
शिरोमणि अकाली दल में भी इस फैसले को लेकर अंदरूनी मतभेद सामने आ रहे हैं। पार्टी के प्रदेश महासचिव सरबजीत सिंह साबी ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और पार्टी नेतृत्व से अपील की कि वह अकाल तख्त के आदेशों का पालन करे।
क्या होगा आगे?
इस पूरे विवाद के बाद सिख संगत एकजुट हो रही है और SGPC के खिलाफ विरोध तेज होता जा रहा है। कई सिख संगठन और धार्मिक संस्थाएं इस फैसले को पलटने की मांग कर रही हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अकाली दल इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और क्या यह विवाद आगामी चुनावों पर असर डालेगा।