
सीरिया में बीते हफ्ते गुरुवार (6 मार्च) से हिंसा का एक नया दौर शुरू हो गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा (अबू मोहम्मद अल-जुलानी) की सरकार के सुरक्षा बलों ने अलावी समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर हमले किए हैं। इस हमले में अब तक 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में ज्यादातर लोग पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थक आम नागरिक थे, जो अलावी अल्पसंख्यक समुदाय से आते थे।
महिलाओं के साथ क्रूरता की खबरें
खबरों के मुताबिक, इस हिंसा में महिलाओं के साथ भी बर्बरता की गई। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि महिलाओं को जबरन सड़क पर नग्न परेड कराई गई और फिर उन्हें गोली मार दी गई। इस तरह की घटनाओं से इलाके में डर और दहशत का माहौल बना हुआ है।
ब्रिटेन स्थित संगठन की रिपोर्ट
ब्रिटेन स्थित ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ (SOHR) की रिपोर्ट के अनुसार, 7 और 8 मार्च को सिर्फ दो दिनों में ही 745 आम नागरिक मारे गए। इसके अलावा, 125 सरकारी सुरक्षा बलों के जवान और 148 असद समर्थक लड़ाके भी इस हिंसा में मारे गए हैं।
लताकिया में बिजली-पानी सप्लाई बंद
सीरिया के लताकिया शहर और उसके आसपास के इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह बंद कर दी गई है। यह शहर अलावी अल्पसंख्यक समुदाय का गढ़ माना जाता है। लोग अब भूख और प्यास से भी जूझ रहे हैं।
कैसे भड़की हिंसा?
हिंसा तब शुरू हुई, जब असद समर्थक लड़ाकों ने लताकिया में सुरक्षा बलों पर हमला किया। इसके बाद HTS (हयात तहरीर अल-शाम) के लड़ाकों ने अलावी समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इस दौरान कई घरों को जला दिया गया, दुकानों को लूटा गया और लोगों को सरेआम गोली मार दी गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
बानियास शहर के एक निवासी ने स्काई न्यूज को बताया,
“सीरियाई सुरक्षा बलों ने आम लोगों को जबरन सड़कों पर लाकर गोली मार दी। उन्होंने किसी को नहीं छोड़ा।”
वहीं, अली शेहा नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा,
“मेरे कम से कम 20 पड़ोसी और सहकर्मी मारे गए हैं। लोग अपने घरों को खाली कर भाग रहे हैं।”
लोगों में डर का माहौल
इस हिंसा के कारण लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। हजारों की संख्या में लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में भाग रहे हैं। हालात इतने खराब हैं कि घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भी नहीं ले जाया जा पा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी
अब तक संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य देशों की तरफ से इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने इस हिंसा की कड़ी निंदा की है और शांतिपूर्ण समाधान की अपील की है।
सीरिया में हिंसा का पुराना इतिहास
सीरिया में 2011 से गृहयुद्ध चल रहा है। इस दौरान लाखों लोग मारे जा चुके हैं और करोड़ों बेघर हो चुके हैं। इस नए हमले से एक बार फिर देश में तनाव और खूनखराबे का माहौल बन गया है।
क्या आगे शांति बहाल होगी?
फिलहाल, सीरिया की स्थिति अत्यधिक खराब है। जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले में दखल नहीं देता, तब तक इस हिंसा के रुकने के आसार कम हैं। लोगों की सुरक्षा और देश में शांति बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।