
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी के मुद्दे पर केंद्र सरकार और पंजाब-हरियाणा के किसानों के बीच 19 मार्च को चंडीगढ़ में बैठक होगी। इससे पहले किसान अपनी MSP से जुड़ी रिपोर्ट सरकार को भेज चुके हैं।
क्या है किसानों की मांग?
किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये में फसलों को MSP पर खरीद सकती है। अब सरकार इन आंकड़ों की जांच के लिए विशेषज्ञों की राय लेगी।
इस बीच, किसान नेता डल्लेवाल का अनशन 106वें दिन में प्रवेश कर चुका है और वह पिछले चार दिनों से किसी भी तरह की चिकित्सीय सहायता नहीं ले रहे हैं।
किसानों का यह आंदोलन 13 फरवरी 2024 से पंजाब-हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमाओं पर जारी है। अब तक सरकार और किसानों के बीच छह दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
कौन-कौन से संगठन शामिल हैं?
इस बार आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले चल रहा है। इसमें कई किसान संगठन शामिल हैं। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने अभी तक इस आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया है।
एकता को लेकर SKM और अन्य संगठनों के बीच छह बैठकें हो चुकी हैं। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
आंदोलन को तेज करने की योजना
केंद्र सरकार के साथ बैठक से पहले किसानों ने 23 मार्च तक कई कार्यक्रमों की घोषणा की है।
किसानों के आगामी कार्यक्रम:
- 16 मार्च – तमिलनाडु के तानाकाशी जिले में MSP गारंटी कानून पर किसान सम्मेलन होगा।
- 17 मार्च – संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा किसान भवन, चंडीगढ़ में कृषि विशेषज्ञों के साथ MSP पर विशेष कॉन्फ्रेंस होगी।
- 23 मार्च – शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस के मौके पर दाता सिंह वाला-खनौरी, शंभू और रतनपुर मोर्चों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- किसानों और केंद्र सरकार के बीच 19 मार्च को बैठक होगी।
- MSP की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान अडिग हैं।
- डल्लेवाल का अनशन 106वें दिन में, स्वास्थ्य बिगड़ने की आशंका।
- संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
- 23 मार्च तक आंदोलन को तेज करने के लिए कई बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
अब देखना यह होगा कि क्या 19 मार्च की बैठक में कोई हल निकलता है या किसानों का आंदोलन आगे भी जारी रहेगा।