
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू आज, 17 मार्च 2025, को अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश कर रहे हैं। पहले यह बजट दोपहर 2 बजे पेश किया जाना था, लेकिन विपक्ष की आपत्ति के बाद इसे सुबह 11 बजे रखा गया। माना जा रहा है कि बजट भाषण करीब तीन घंटे तक चलेगा और इसमें पंचायती राज संस्थाओं व ग्रामीण विकास को विशेष महत्व दिया जाएगा, क्योंकि यह बजट पंचायती चुनावों के साल में आ रहा है।
60 हजार करोड़ के आसपास हो सकता है बजट
हिमाचल प्रदेश सरकार का इस बार का बजट करीब 60,000 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। हालांकि, इस बार बजट में ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद में भारी कटौती होने वाली है। पिछले साल मुख्यमंत्री सुक्खू ने 58,444 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी कठिन हो सकती है।
राजस्व घाटे की बढ़ती चुनौती
प्रदेश सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती राजस्व घाटे को कम करना है। हिमाचल प्रदेश को केंद्र से मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान (RDG) वर्ष 2025-26 में घटकर 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगा, जबकि 2020-21 में यह 11,431 करोड़ रुपये था। यानी, 8,174 करोड़ रुपये की बड़ी कमी को पूरा करने के लिए सरकार को अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की तलाश करनी होगी।
इसके अलावा, हाल ही में सरकार ने 17,000 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट भी विधानसभा में पारित किया है। वहीं, राज्य की कर्ज लेने की सीमा भी 5% से घटाकर 3.5% कर दी गई है, जिससे नए कर्ज उठाने में भी दिक्कत आ सकती है।
हिमाचल पर कर्ज का बढ़ता बोझ
हिमाचल प्रदेश पर पहले ही 95,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है, जो लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि उसे ब्याज चुकाने के लिए भी नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। राज्य सरकार हर महीने करीब 2,000 करोड़ रुपये वेतन और पेंशन पर खर्च करती है, जो कुल बजट का एक बड़ा हिस्सा खा जाता है।
जनता की उम्मीदें और हकीकत
जनता को इस बजट से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं, क्योंकि आर्थिक संकट के चलते सरकार के पास खर्च करने के ज्यादा विकल्प नहीं हैं। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर फोकस करेगी।
हालांकि, कर्ज, अनुदान में कटौती और वित्तीय दबाव के चलते यह बजट ज्यादा लोकलुभावन होने की बजाय व्यावहारिक हो सकता है। सरकार को नए राजस्व स्रोत खोजने होंगे और खर्चों में संतुलन बनाना होगा ताकि हिमाचल की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सके। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में कैसा बजट पेश करते हैं और इससे हिमाचल की जनता को कितना लाभ मिलता है।