
संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण का दूसरा हफ्ता जारी है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ पर अपनी बात रखी और इसके महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह गंगा जी को धरती पर लाने के लिए बड़ा प्रयास हुआ था, उसी तरह इस महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए भी बहुत मेहनत की गई।
महाकुंभ में दिखी भारत की विराट शक्ति
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में कहा कि महाकुंभ भारत की आस्था, संकल्प और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सामूहिक चेतना का जागरण भी था। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से पूरी दुनिया ने देखा कि भारत कितना विराट और संगठित देश है।
उन्होंने अपने भाषण में ‘सबका प्रयास’ की बात को दोहराया और कहा कि महाकुंभ का सफल आयोजन सभी की सामूहिक मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा,
“महाकुंभ में हमने राष्ट्रीय चेतना के जागरण के विराट दर्शन किए हैं। यह चेतना हमें नए संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रेरित करती है।”
राम मंदिर और महाकुंभ का उल्लेख
पीएम मोदी ने अयोध्या में बने राम मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि जब हमने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखी, तो देश की आस्था और एकता को महसूस किया। उन्होंने कहा कि भारत अब अगले हजार वर्षों के लिए तैयार हो रहा है और यह एक नया युग है।
महाकुंभ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस आयोजन से पूरे देश में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ है। युवा पीढ़ी भी इसे बड़े जोश और श्रद्धा के साथ देख रही है।
मॉरिशस यात्रा का जिक्र
अपने भाषण में पीएम मोदी ने मॉरिशस यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वहां मौजूद गंगा तालाब में भारत की पवित्र नदियों का जल डाला गया, जिससे मॉरिशस में रहने वाले भारतीय समुदाय को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिला।
विपक्ष ने किया हंगामा
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद विपक्षी दलों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया। वे उनकी बातों पर आपत्ति जता रहे थे। इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी नेताओं को शांत रहने की नसीहत दी और कहा कि सदन नियमों से चलता है।
उन्होंने लोकसभा की कार्यवाही को नियम 377 के तहत जारी रखा और कहा कि संसद में हर किसी को अपनी बात कहने का हक है, लेकिन हंगामे से लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में अपने भाषण के जरिए महाकुंभ के महत्व को रेखांकित किया और इसे भारत की एकता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बताया। उन्होंने राम मंदिर, आध्यात्मिक चेतना और राष्ट्रीय जागरूकता पर जोर दिया। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस पर हंगामा किया, लेकिन संसद की कार्यवाही जारी रही।
महाकुंभ जैसे आयोजनों से भारत की संस्कृति और परंपराओं को मजबूती मिलती है और दुनिया को भारत की विशाल विरासत देखने का अवसर मिलता है।