
पंजाब सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई आबकारी नीति के तहत शराब के ठेके ई-टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से आवंटित किए हैं। इस प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार ने ऑनलाइन टेंडर सिस्टम लागू किया है।
कैसे हुआ टेंडर आवंटन?
सोमवार को लुधियाना में लाइसेंसशुदा ठेकेदारों ने सरकार के सभी नियमों का पालन करते हुए ई-टेंडर के जरिए अपनी बोलियां जमा कीं। जिन ठेकेदारों ने सबसे ऊंची बोली लगाई, वे गुरुप लेने में सफल हुए। इस बार सरकार ने लुधियाना में ग्रुप का साइज बढ़ा दिया है।
लुधियाना में कुल 44 ग्रुप बनाए गए हैं, जिनमें—
- 31 शहरी (M.C.) ग्रुप शामिल हैं।
- 13 ग्रामीण ग्रुप रखे गए हैं।
टेंडर में भाग लेने की शर्तें
हर आवेदक को टेंडर में भाग लेने के लिए ₹5 लाख की गैर-वापसी योग्य फीस जमा करनी पड़ी। इसके अलावा, बोली लगाने से पहले 3% ग्रुप फीस एडवांस में अदा करनी पड़ी, जिसे बाद में समायोजित किया जा सकता था। अगर किसी ठेकेदार ने ग्रुप नहीं छोड़ा, तो उसे यह राशि वापस भी मिल सकती थी।
सरकार को हुआ बड़ा राजस्व लाभ
खासकर खन्ना-1, खन्ना-2, माछीवाड़ा, समराला, दोराहा, ढंडारी और भैरोंमुंहा ग्रुप के लिए ठेकेदारों ने सरकार की तय न्यूनतम बोली कीमत से अधिक की बोली लगाई। इस प्रक्रिया के तहत सरकार ने 133 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व इकट्ठा कर लिया है।
कुछ ग्रुप नहीं बिके
लुधियाना के वेस्ट-ए और वेस्ट-बी क्षेत्रों में कुल 25 ग्रुप बनाए गए थे, जिनमें से 24 ग्रुप सफलतापूर्वक नीलाम हो गए। लेकिन, 1 ग्रुप की बोली दस्तावेजों की कमी या तकनीकी खामियों के कारण रद्द कर दी गई।
इसके अलावा, 10 ग्रुप ऐसे रहे जिन पर किसी भी ठेकेदार ने बोली नहीं लगाई, जिससे वे अभी तक बिना मालिक के हैं।
इसी तरह, ईस्ट-ए और ईस्ट-बी में कुल 19 ग्रुप थे, जिनमें से 18 ग्रुप बिक गए, जबकि 1 ग्रुप की बोली तकनीकी खामियों के कारण रद्द कर दी गई। बाकी 6 ग्रुपों के लिए किसी ने भी बोली नहीं लगाई, जिससे वे अब तक बिना खरीदार के हैं।
सरकार की पारदर्शी नीति
इस बार सरकार ने ई-टेंडर के जरिए पारदर्शी और डिजिटल प्रणाली लागू कर ठेकों का आवंटन किया है। इससे न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि ठेकेदारों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी बनी रहेगी।
हालांकि, कुछ ग्रुप अब भी बिना बोली के रह गए हैं, जिससे सरकार को इनके लिए फिर से टेंडर निकालना पड़ सकता है।
लोगों को क्या फायदा?
ई-टेंडर प्रक्रिया से सरकार को अधिक राजस्व मिला है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा। इससे शराब बिक्री के ठेकों की संख्या और स्थान की बेहतर योजना बनाई जा सकेगी।
अब देखना होगा कि जो ग्रुप अभी तक नहीं बिके हैं, उनके लिए सरकार क्या फैसला लेती है और क्या इन पर दोबारा बोली प्रक्रिया चलाई जाएगी।