
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं—चीन और अमेरिका—के बीच एक बार फिर व्यापार युद्ध तेज हो गया है। इस बार मसला है अमेरिका की तरफ से चीन के सामान पर टैरिफ (Import Duty) बढ़ाने की धमकी और चीन की उस पर सख्त प्रतिक्रिया।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका को दो टूक शब्दों में चेताया है कि अगर अमेरिका अपने प्रस्तावित नए टैरिफ लागू करता है, तो चीन भी “अंत तक लड़ेगा” और जवाबी कार्रवाई करेगा। चीन ने कहा है कि वो अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए “मज़बूती से बदला लेगा”।
क्या है मामला?
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर 50% तक आयात शुल्क बढ़ाने की धमकी दी है। साथ ही चीन को 8 अप्रैल तक का समय दिया गया है कि वह पहले से लगाए गए 34% टैरिफ को हटाए, वरना अमेरिका और ज्यादा सख्त कदम उठाएगा।
इसके जवाब में चीन ने एक तरफ शांति और बातचीत की पेशकश की है, वहीं यह भी साफ कर दिया है कि अगर अमेरिका पीछे नहीं हटता, तो चीन भी चुप नहीं बैठेगा। मंत्रालय ने कहा,
“हम बातचीत के जरिए विवाद हल करने के पक्षधर हैं, लेकिन अगर हमारे अधिकारों और हितों पर चोट पहुंचेगी, तो हम पीछे नहीं हटेंगे।”
चीन की दोहरी रणनीति: बातचीत भी, बदला भी
चीन ने साफ किया है कि वह अपनी व्यापारिक संप्रभुता और हितों की रक्षा करेगा। उसने अमेरिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वॉशिंगटन “एकतरफा रवैया, संरक्षणवाद और आर्थिक दबाव की नीति” अपना रहा है।
चीन के अधिकारियों का मानना है कि अमेरिका, व्यापार संतुलन के नाम पर विकासशील देशों पर दबाव बना रहा है, जिससे उनकी आर्थिक तरक्की रुक सके। चीन ने अपील की है कि अमेरिका इस टकराव वाले रास्ते से हटे और बातचीत की मेज पर लौटे।
ट्रंप का पलटवार
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी तरफ से और भी कड़ी भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा,
“अगर कोई देश अमेरिका के खिलाफ बदला लेने की कोशिश करेगा, तो हम नई और ज्यादा टैरिफ तुरंत लगाएंगे।”
उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका हर उस देश के खिलाफ तेज़ी से एक्शन लेगा जो जवाबी शुल्क लगाएगा। ट्रंप की रणनीति साफ है – आक्रामक रुख अपनाकर चीन पर दबाव बनाना।
मौजूदा स्थिति
इस समय अमेरिका चीन से आने वाली कई वस्तुओं पर कुल मिलाकर 54% टैरिफ लागू कर चुका है। दोनों देशों के बीच पहले से ही कई तरह की व्यापारिक बातचीत रुकी हुई है। अब इस टैरिफ जंग के कारण हालात और बिगड़ सकते हैं।
वैश्विक असर
इस टकराव का असर केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगा। इन दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक व्यापार, निवेश और शेयर बाजारों को प्रभावित कर सकता है। तेल की कीमतों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर तक हर क्षेत्र पर इसका असर देखने को मिल सकता है।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध फिर से गहराता नजर आ रहा है। दोनों पक्षों की आक्रामक भाषा और टैरिफ लगाने की धमकियां बता रही हैं कि मामला जल्द थमता नहीं दिख रहा। हालांकि, चीन ने एक बार फिर बातचीत की पेशकश की है—देखना ये होगा कि क्या ट्रंप प्रशासन इस पर कोई नरम रुख अपनाएगा, या टकराव और बढ़ेगा।