
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों को कोई नहीं भूल सकता। इस हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। अब 17 साल बाद इस हमले से जुड़ा एक अहम आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा आखिरकार भारत लाया गया है। यह भारत की न्याय प्रक्रिया के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। वह अमेरिका के शिकागो शहर में रहता था और वहां एक इमिग्रेशन फर्म चलाता था। वह पहले आर्मी डॉक्टर भी रह चुका है। उसका नाम 26/11 हमलों की साजिश में इसलिए आया, क्योंकि उसने अपने दोस्त और साथी डेविड हेडली को भारत भेजने में मदद की थी।
हेडली ने भारत आकर मुंबई में कई जगहों की रेकी (जासूसी) की थी, जो बाद में हमले के निशाने बने। हेडली ने खुद कबूल किया था कि वह लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा था और राणा की मदद से भारत में घूम पाया।
अमेरिका से भारत तक का सफर
राणा को अमेरिका में पहले गिरफ्तार किया गया था। भारत ने कई साल पहले अमेरिका से उसका प्रत्यर्पण (Extradition) मांगा था। लेकिन यह प्रक्रिया बहुत लंबी चली। राणा ने अमेरिकी कोर्ट में कई बार याचिकाएं दाखिल कीं कि उसे भारत न भेजा जाए, क्योंकि उसे डर था कि वहां उसे प्रताड़ना दी जा सकती है।
लेकिन आखिरकार अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी और भारत के अनुरोध पर सहमति दे दी। इसके बाद राणा को सख्त सुरक्षा के बीच दिल्ली लाया गया।
कोर्ट में पेशी और NIA की रिमांड
भारत लाने के तुरंत बाद राणा को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उसे 18 दिनों की NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की रिमांड पर भेज दिया है। अब जांच एजेंसी उससे पूछताछ कर रही है कि उसने 26/11 हमलों में और किन-किन तरीकों से मदद की थी।
NIA को उम्मीद है कि राणा की जानकारी से हमलों के पीछे की गहराई और नेटवर्क के बारे में और भी सच्चाई सामने आएगी।
भारत के लिए बड़ी सफलता
राणा का भारत आना सिर्फ कानूनी मामला नहीं, बल्कि यह भारत की कूटनीतिक जीत भी है। अमेरिका जैसे बड़े देश से किसी आरोपी का प्रत्यर्पण कराना आसान नहीं होता। लेकिन भारत सरकार और जांच एजेंसियों की लगातार कोशिशों के चलते यह मुमकिन हुआ।
इससे 26/11 हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों को एक उम्मीद की किरण मिली है। जिन लोगों ने अपने घर के लोग खोए, अब उन्हें लग रहा है कि धीरे-धीरे उन्हें न्याय जरूर मिलेगा।
आगे क्या होगा?
अब राणा से पूछताछ के बाद NIA उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी। इसके बाद कोर्ट में मुकदमा चलेगा। अगर सबूत पुख्ता हुए, तो राणा को भारत में सजा मिल सकती है।
भारत पहले ही डेविड हेडली को सजा दिलवाने में कामयाब रहा है, हालांकि वह अमेरिका में ही जेल में है। अब तहव्वुर राणा के खिलाफ कार्रवाई से यह संदेश जाएगा कि भारत आतंक के खिलाफ कभी हार नहीं मानेगा।
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तहव्वुर राणा की भारत वापसी न सिर्फ एक आरोपी की गिरफ्तारी है, बल्कि यह 26/11 जैसे घिनौने हमले में शामिल लोगों को न्याय के कटघरे में लाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।