पंजाब में 50 ग्रेनेड होने के दावे से मचा हड़कंप, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दिया सख्त एक्शन का संकेत

पंजाब की राजनीति में उस समय भूचाल आ गया जब कांग्रेस के सीनियर नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान दावा किया कि पंजाब में 50 ग्रेनेड पहुंच चुके हैं, जिनमें से 18 का इस्तेमाल हो चुका है और बाकी 32 अब भी मौजूद हैं। उनके इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत पूरी तरह गरमा गई है।
प्रताप बाजवा के इस बयान पर तुरंत ही मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और बाजवा के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दे दिए। भगवंत मान ने इस मुद्दे पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि अगर बाजवा के पास इस तरह की जानकारी है, तो उन्हें तुरंत पंजाब पुलिस को सूचित करना चाहिए था। लेकिन अगर यह दावा झूठा है, तो वह प्रदेश में डर और अफरातफरी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाजवा को साफ करना होगा कि उन्हें यह जानकारी कहां से मिली, कौन लोग हैं जो उन्हें इतने संवेदनशील इनपुट दे रहे हैं, और क्या उनके पास इस दावे के पीछे कोई ठोस सबूत हैं। भगवंत मान ने सख्त लहजे में कहा कि अगर यह बयान केवल सनसनी फैलाने के लिए दिया गया है, तो इसे एक गंभीर अपराध माना जाएगा और बाजवा पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बाजवा के इस बयान के बाद पंजाब पुलिस हरकत में आ गई है और बताया जा रहा है कि पुलिस टीम उनके घर पहुंची है और उनसे पूछताछ की जा रही है। कहा जा रहा है कि प्रताप सिंह बाजवा को आज अपने विधानसभा क्षेत्र कादियां जाना था, लेकिन पुलिस ने उन्हें कॉल कर कहा कि वे एक जरूरी मुलाकात के लिए उनसे मिलने आ रहे हैं।
भगवंत मान ने कहा कि अगर बाजवा के पास जानकारी थी कि राज्य में कहीं ग्रेनेड या बम हैं, तो क्या वे किसी धमाके और निर्दोष लोगों की मौत का इंतजार कर रहे थे? क्या वो चाहते थे कि कोई हादसा हो, तब जाकर वो पुलिस को जानकारी दें ताकि राजनीतिक फायदा उठाया जा सके?
मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसे गंभीर मुद्दों पर गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी प्रदेश की शांति के लिए खतरा बन सकती है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर यह खबर सही नहीं है, तो प्रताप बाजवा का मकसद क्या था? क्या वह सिर्फ जनता में डर का माहौल बनाना चाहते थे?
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बाजवा अपने दावे को कैसे साबित करते हैं या क्या वह अपने बयान से पीछे हटते हैं। यदि वह कोई सबूत नहीं दे पाते, तो उनके खिलाफ झूठी जानकारी फैलाने और लोगों को दहशत में डालने के आरोप में सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है।
यह मामला अब सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि प्रदेश की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय बन चुका है।