
पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में विरोधी दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा इस समय एक बड़े विवाद में घिरे हुए हैं। हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान ऐसा बयान दिया था, जिससे पूरे राज्य में हड़कंप मच गया। बाजवा ने दावा किया था कि पंजाब में 50 ग्रेनेड आए हैं, जिनमें से 18 का इस्तेमाल हो चुका है और 32 अब भी राज्य भर में धमाके करने के लिए मौजूद हैं। इस बयान के बाद बवाल मच गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
हाईकोर्ट ने नहीं दी कोई राहत
बाजवा ने अपने खिलाफ दर्ज की गई FIR को रद्द करवाने के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई, जिसमें बाजवा के वकील ने अदालत के सामने अपना पक्ष रखा। हालांकि कोर्ट ने FIR को रद्द करने से साफ इनकार कर दिया और पुलिस को मामले की जांच जारी रखने के निर्देश दिए।
कोर्ट ने साफ कहा है कि 22 अप्रैल तक प्रताप सिंह बाजवा कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं दे सकते हैं। साथ ही, जब भी पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए बुलाएगी, उन्हें अनिवार्य रूप से उपस्थित होना होगा और जांच में पूरा सहयोग देना होगा।
हालांकि कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर 22 अप्रैल तक रोक लगा दी है, लेकिन साथ ही राज्य सरकार को भी नोटिस जारी किया गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।
बयान के बाद विवाद और FIR
यह मामला तब शुरू हुआ जब 13 अप्रैल को प्रताप सिंह बाजवा ने एक निजी टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए यह चौंकाने वाला दावा किया था कि पंजाब में 50 ग्रेनेड आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से 18 पहले ही इस्तेमाल किए जा चुके हैं और 32 अब भी कहीं भी धमाका कर सकते हैं। इस बयान के बाद पूरे राज्य में चिंता का माहौल बन गया।
इसी दिन मोहाली की एक महिला पुलिसकर्मी की शिकायत पर बाजवा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद पंजाब सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश पर AIG काउंटर इंटेलिजेंस रवजोत ग्रेवाल अपनी टीम के साथ चंडीगढ़ स्थित बाजवा के घर पहुंचे। उनका उद्देश्य था कि वे इस “सूचना” के स्रोत के बारे में जान सकें। हालांकि, पुलिस के अनुसार बाजवा ने जांच में सहयोग नहीं किया।
पूछताछ और जांच जारी
इसके बाद एक और दिन बाजवा से करीब साढ़े पांच घंटे तक गहन पूछताछ की गई। पुलिस को अब भी यह जानना है कि बाजवा को ग्रेनेड से जुड़ी जानकारी कहां से मिली और क्या यह कोई सच्चाई पर आधारित बयान था या महज़ एक राजनीतिक स्टंट।
इस पूरे मामले ने पंजाब की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। जहां एक ओर विपक्ष इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बता रहा है, वहीं सरकार का कहना है कि राज्य की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती।
अब सबकी नजरें 22 अप्रैल की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि बाजवा के खिलाफ जांच किस दिशा में जाएगी।