
पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और सहकारिता मंत्री मुकेश अग्निहोत्री के एक बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि शानन पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से पंजाब की संपत्ति है और हिमाचल सरकार का इस पर कोई अधिकार नहीं बनता।
क्या है मामला?
दरअसल, हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हाल ही में एक बयान में शानन पावर प्रोजेक्ट पर हिमाचल का हक़ बताया था। इसके जवाब में पंजाब के बिजली मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह दावा पूरी तरह से गलत और तथ्यहीन है। उन्होंने कहा कि अग्निहोत्री को बयान देने से पहले तथ्यों की जानकारी लेनी चाहिए थी। इस तरह के बयानों से दोनों राज्यों के आपसी संबंधों में खटास आ सकती है।
पंजाब का अधिकार कैसे तय हुआ?
हरभजन सिंह ईटीओ ने जानकारी देते हुए कहा कि 1966 में पंजाब का पुनर्गठन हुआ था और इसके बाद भारत सरकार ने 1 मई 1967 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें राज्य की संपत्तियों और कर्जों के बंटवारे की व्यवस्था की गई थी। इस अधिसूचना के तहत, शानन पावर प्रोजेक्ट पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को आवंटित किया गया था। वर्तमान में यह प्रोजेक्ट पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) के अंतर्गत संचालित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत पंजाब को मिला है और इस पर किसी अन्य राज्य का दावा वैध नहीं हो सकता। इसके अलावा 1972 में भारत सरकार के सिंचाई और बिजली मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया था कि इस अधिसूचना में कोई बदलाव नहीं होगा।
हिमाचल सरकार ने पहले भी उठाया था मुद्दा
बिजली मंत्री ने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने पहले भी इस मामले को 1987 में भारत सरकार के सामने उठाया था, लेकिन उस समय भी केंद्र सरकार ने यह साफ़ कर दिया था कि शानन प्रोजेक्ट की मालिकाना हक पंजाब को ही है।
इतिहास क्या कहता है?
अग्निहोत्री द्वारा यह कहे जाने पर कि मंडी का इलाका कभी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा और शानन प्रोजेक्ट 99 साल की लीज़ पर था, इस पर हरभजन सिंह ईटीओ ने जवाब दिया कि यह परियोजना 1925 में मंडी रियासत और ब्रिटिश सरकार के बीच हुए समझौते के तहत शुरू हुई थी और 1932 में पूरी हुई। स्वतंत्रता के बाद हिमाचल के अधिकतर जिले पहले पंजाब का हिस्सा रहे हैं। इसलिए यह कहना कि मंडी कभी पंजाब का हिस्सा नहीं था, ऐतिहासिक रूप से गलत है।
2023 में भी उठा था मुद्दा
हरभजन सिंह ने कहा कि 2023 में हिमाचल के मुख्यमंत्री ने पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह प्रोजेक्ट हिमाचल को सौंपने की मांग की थी, लेकिन पंजाब सरकार ने यह साफ कर दिया कि यह प्रोजेक्ट उसकी वैध संपत्ति है।
मामला अब अदालत में
पंजाब सरकार ने हिमाचल सरकार के अनावश्यक दबाव के खिलाफ पंजाब हाईकोर्ट में मामला दायर किया है, जो इस समय विचाराधीन है। मंत्री ने यह भी कहा कि जब मामला अदालत में है, तब तक किसी भी नेता को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए, जो विवाद को और बढ़ा सकें।
शानन पावर प्रोजेक्ट को लेकर पंजाब और हिमाचल के बीच विवाद एक बार फिर चर्चा में है। लेकिन पंजाब सरकार के अनुसार, इस प्रोजेक्ट पर उसका पूरा कानूनी हक है। अब देखना यह है कि अदालत इस मामले पर क्या फैसला सुनाती है और क्या दोनों राज्य किसी साझा समाधान की ओर बढ़ते हैं।