
चीन ने हाल ही में एक नया और खतरनाक हथियार विकसित किया है, जिसे नॉन-न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम कहा जा रहा है। यह बम पारंपरिक परमाणु बम से बिलकुल अलग है क्योंकि इसमें न तो फ्यूजन (हाइड्रोजन बम) और न ही फिशन (एटम बम) तकनीक का उपयोग होता है। खास बात यह है कि यह बम अंतरराष्ट्रीय परमाणु संधियों का उल्लंघन भी नहीं करता, लेकिन फिर भी यह काफी तबाही मचा सकता है।
क्या है यह बम?
चीन के वैज्ञानिकों ने इस बम में मैग्नीशियम हाइड्राइड नामक ठोस हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया है। यह तकनीक इसे पारंपरिक परमाणु बम से अलग बनाती है। बम में रेडियोधर्मी किरणों का प्रभाव नहीं होता, जिससे यह अधिक ‘स्वच्छ’ हथियार माना जा रहा है।
इस बम की खासियतें
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जबरदस्त गर्मी: यह बम विस्फोट के समय 1000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान पैदा करता है।
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लंबे समय तक असर: सामान्य TNT विस्फोट की तुलना में इसकी ताकत 15 गुना ज्यादा देर तक बनी रहती है।
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छोटा और हल्का: इसका वजन सिर्फ 2 किलोग्राम है, लेकिन शक्ति में बेहद घातक है।
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कोई रेडिएशन नहीं: परमाणु बम की तरह यह रेडियोधर्मी कचरा नहीं छोड़ता, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान होता है।
चीन को क्या फायदा?
चीन इस बम की मदद से कई रणनीतिक लक्ष्य हासिल कर सकता है। यह हथियार अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन किए बिना चीन की सैन्य ताकत को बढ़ाता है।
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रणनीतिक बढ़त: युद्ध में चीन को ऐसा हथियार मिल गया है जिसे दुश्मन तुरंत पहचान नहीं पाएंगे।
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प्रतिरोधक क्षमता: यह बम दुश्मन देशों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है, खासकर जो ऐसे हमलों के लिए तैयार नहीं हैं।
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कम लागत में बड़ा हमला: इसे बनाने और इस्तेमाल करने में खर्च भी कम है।
भारत के लिए क्या है खतरा?
भारत और चीन के बीच पहले से ही सीमा पर तनाव है। ऐसे में चीन के पास यह नया हथियार होना भारत के लिए एक नई चिंता का कारण बन सकता है।
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चीन इस बम का इस्तेमाल सीमावर्ती इलाकों में तेजी से हमला करने के लिए कर सकता है।
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भारत को अपनी सैन्य तैयारियों और रणनीतियों को नए सिरे से तैयार करना होगा।
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रक्षा बजट, तकनीक और अनुसंधान को और मज़बूत करने की ज़रूरत है।
भारत-चीन की सैन्य तुलना
चीन अपनी सेना को पहले ही AI, ड्रोन स्वार्म, हाइपरसोनिक मिसाइल जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर रहा है। अब इस नए नॉन-न्यूक्लियर बम ने उसकी ताकत और बढ़ा दी है। भारत को भी अपनी रक्षा नीति में तेजी लानी होगी और नई तकनीकों को अपनाना होगा।
चीन का यह नया हाइड्रोजन बम भले ही परमाणु हथियार न हो, लेकिन इसका असर कम नहीं है। यह हथियार भविष्य के युद्धों की दिशा बदल सकता है। भारत सहित बाकी देशों को भी इस तकनीक को समझना और उसका मुकाबला करने की तैयारी करनी होगी।