
21 अप्रैल 2025 को पूरी दुनिया के लिए एक दुखद दिन रहा, जब कैथोलिक समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। भारत सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पोप फ्रांसिस के निधन के बाद 22 और 23 अप्रैल को पूरे देश में राजकीय शोक रहेगा। इसके साथ ही उनके अंतिम संस्कार के दिन भी एक दिन का शोक मनाया जाएगा। इस दौरान, जिन भवनों पर नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, वहां ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी सरकारी मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने संदेश में पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने लिखा,
“पोप फ्रांसिस करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक थे। उन्होंने प्रभु यीशु के आदर्शों को जीने की प्रेरणा दी और जीवनभर गरीबों की सेवा की।”
प्रधानमंत्री ने वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति गहरी संवेदना जताई और कहा कि पोप फ्रांसिस को पूरी दुनिया याद रखेगी।
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अन्य प्रमुख नेताओं की प्रतिक्रियाएं
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि पोप की करुणा और दुनिया को बेहतर बनाने की सोच उन्हें विशेष बनाती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें गरीबों और वंचितों के लिए काम करने वाला महान सेवक बताया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे “मानवता की बड़ी क्षति” बताया और कहा कि हम सब दुखी हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन्हें “उम्मीद की रोशनी” बताया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पोप फ्रांसिस एक महान मानवतावादी थे, जिन्होंने सभी धर्मों को जोड़ने का कार्य किया।
राहुल गांधी ने पोप को न्याय और शांति की आवाज बताया। उन्होंने कहा कि पोप ने सदैव पीड़ितों का साथ दिया और प्यार व मानवता का संदेश फैलाया।
योगी आदित्यनाथ ने पोप के निधन को “आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति” बताया और कहा कि उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत था।
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पोप फ्रांसिस का योगदान
पोप फ्रांसिस को उनके दयालु स्वभाव, सामाजिक न्याय की सोच और गरीबों के लिए सेवा भावना के लिए जाना जाता है। उन्होंने हमेशा सभी धर्मों में एकता की बात की और समाज में प्रेम व भाईचारे का संदेश फैलाया।
वे पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकारों जैसे मुद्दों पर भी मुखर रहे। अपने जीवनभर उन्होंने जरूरतमंदों की सेवा की और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई।
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पोप फ्रांसिस का निधन न केवल ईसाई समुदाय बल्कि पूरी मानवता के लिए बड़ी क्षति है। भारत समेत पूरी दुनिया उन्हें करुणा, प्रेम और सेवा के प्रतीक के रूप में हमेशा याद रखेगी।
उनकी याद में भारत का झुका तिरंगा, हर धर्म और समाज को यह संदेश दे रहा है कि सच्चा धर्म सेवा और मानवता में ही है।