
जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत इलाक़े पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को एक बड़ा आतंकी हमला हुआ जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह हमला बाइसरन वैली के पास हुआ, जो पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। हमले के बाद पूरे देश में ग़म और गुस्से का माहौल है।
क्या हुआ हमले के बाद?
हमले के 24 घंटे बाद सुरक्षाबलों ने इलाके में सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बल मिलकर आतंकियों की तलाश में जुटे हुए हैं। जगह-जगह नाके लगाए गए हैं और गाड़ियों की कड़ी चेकिंग की जा रही है। बताया जा रहा है कि हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है।
सरकारी कार्रवाई
भारत सरकार ने इस हमले को बहुत गंभीरता से लिया है। पाकिस्तान के साथ कुछ अहम फैसले लिए गए हैं—इंडस वॉटर ट्रीटी को निलंबित कर दिया गया है, अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करने का निर्णय लिया गया है, और पाकिस्तान के रक्षा सलाहकारों को भारत से बाहर निकालने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही भारत में मौजूद क्षेत्रीय वीज़ा वाले पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।
जांच और सबूत
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस केस की जांच संभाल ली है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हमला सुनियोजित था और इसमें प्रशिक्षित आतंकियों का हाथ है। कुछ संदिग्धों की तस्वीरें भी जारी की गई हैं और सुरक्षाबल उन तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
पर्यटन पर असर
इस हमले का सीधा असर जम्मू-कश्मीर के पर्यटन पर पड़ा है। कई पर्यटकों ने अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं और स्थानीय व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे और पर्यटकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोग इस हमले से बहुत आहत हैं। कई जगहों पर श्रद्धांजलि सभाएं की गईं और शांति बनाए रखने की अपील की गई है। लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए कहा है कि इस तरह की घटनाएं कश्मीर की खूबसूरती और मेहमाननवाज़ी की छवि को धूमिल नहीं कर सकतीं।
आगे की राह
अब सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है आतंकियों को पकड़ना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना। साथ ही, पर्यटकों में भरोसा वापस लाना भी जरूरी है ताकि जम्मू-कश्मीर का पर्यटन फिर से पटरी पर लौट सके।
यह हमला एक गहरी चोट की तरह है, लेकिन देश एकजुट होकर इसका सामना कर रहा है। सरकार, सुरक्षा एजेंसियां और आम लोग सब मिलकर यह दिखा रहे हैं कि आतंक की कोई जगह नहीं है – न कश्मीर में, न भारत में।