
केंद्र सरकार ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर बड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। यह बैठक मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में हुई, जिसमें 26 लोगों की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। मृतकों में ज्यादातर पर्यटक शामिल थे, जिनमें एक नेपाल का नागरिक भी था।
राष्ट्रपति भवन ने इस मुलाकात की तस्वीर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर साझा करते हुए लिखा,
“केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।”
हमले की पृष्ठभूमि
यह हमला पहलगाम के उस इलाके में हुआ, जो अपनी सुंदरता और शांति के लिए मशहूर है। यह वही क्षेत्र है जहां हर साल लाखों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। लेकिन मंगलवार दोपहर जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
घटना के अनुसार, हथियारों से लैस आतंकवादियों ने अचानक एक पर्यटक वाहन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। 26 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, और कई घायल हो गए। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद से कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे।
सरकार की प्रतिक्रिया
गृह मंत्री अमित शाह ने घटना के बाद सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि,
“दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। आतंकवाद के खिलाफ हमारी नीति स्पष्ट है – जीरो टॉलरेंस।”
अब राष्ट्रपति से इस मुलाकात को एक अहम राजनीतिक और रणनीतिक क़दम के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि सरकार इस हमले के बाद कड़े फैसले लेने की तैयारी में है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी असर
विदेश मंत्री जयशंकर के राष्ट्रपति से मुलाकात का एक और बड़ा मकसद है — अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की स्थिति से अवगत कराना। नेपाल के एक नागरिक की मौत के बाद यह हमला अंतरराष्ट्रीय मामला भी बन गया है। भारत अब इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर उठाने की योजना बना रहा है।
आगे क्या?
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सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
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कश्मीर में अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं।
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पर्यटकों को विशेष सुरक्षा दी जा रही है।
पहलगाम की वादियों में खून की बारिश के बाद अब देश सवाल कर रहा है — “कब तक?”
सरकार की कोशिश अब न सिर्फ इस घटना के पीछे जिम्मेदार लोगों तक पहुंचने की है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की भी है कि भविष्य में ऐसी कोई घटना ना हो।