
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माने जाने वाले अमेरिका की हालत इन दिनों कुछ ठीक नहीं है। अमेरिका की जीडीपी में साल 2025 की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान 0.3% की गिरावट दर्ज की गई है। ये आंकड़े अमेरिका के वाणिज्य विभाग द्वारा जारी किए गए हैं और यह तीन वर्षों में पहली बार है जब अमेरिकी इकोनॉमी सिकुड़ी है। अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या अमेरिका मंदी की ओर बढ़ रहा है?
ट्रंप की टैरिफ नीति बनी मुसीबत
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू की गई टैरिफ वॉर नीति यानी व्यापारिक शुल्कों की लड़ाई अब खुद अमेरिका के लिए परेशानी का कारण बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप द्वारा चीन और अन्य देशों से आयात पर भारी शुल्क लगाने के डर से अमेरिकी कंपनियों ने पहले ही बहुत ज्यादा सामान आयात कर लिया, जिससे व्यापार घाटा बढ़ गया और इकोनॉमी पर दबाव बना।
उपभोक्ता खर्च में आई गिरावट
एपी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में इस तिमाही के दौरान आयात में 41% का इजाफा हुआ, जो 2020 के बाद सबसे ज्यादा है। वहीं, उपभोक्ताओं द्वारा किया जाने वाला खर्च, जो किसी भी देश की आर्थिक सेहत का अहम पैमाना होता है, 4% से घटकर 1.8% पर आ गया है। इसका मतलब यह है कि आम अमेरिकी लोगों की खर्च करने की क्षमता और इच्छाशक्ति दोनों में गिरावट आई है।
शेयर बाजार में मची खलबली
जैसे ही अमेरिका की जीडीपी में गिरावट के आंकड़े सामने आए, शेयर बाजार भी हिल गया।
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डाउ जोन्स में 400 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई।
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S&P 500 करीब 1.5% फिसल गया।
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जबकि NASDAQ कंपोजिट में 2% की गिरावट देखी गई।
इससे साफ है कि निवेशकों में चिंता का माहौल है और वो अमेरिकी इकोनॉमी को लेकर आशंकित हैं।
क्या दूसरी तिमाही में मिलेगा राहत?
हालांकि कुछ विशेषज्ञों को उम्मीद है कि दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में हालात सुधर सकते हैं। कैपिटल इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्री पॉड अश्वर्थ का मानना है कि इस तिमाही में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2% की दर से ग्रोथ कर सकती है। मगर सभी विशेषज्ञ इतने आशावादी नहीं हैं।
कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ट्रंप की भारी-भरकम टैक्स नीति और टैरिफ वॉर का असर आने वाले महीनों में भी रहेगा। इससे महंगाई बढ़ सकती है, निर्यात प्रभावित हो सकता है और अमेरिकी कंपनियों को लागत में इजाफा झेलना पड़ेगा।
इतिहास खुद दोहरा रहा है?
अमेरिका में इससे पहले 1972 में और फिर कोरोना काल के दौरान भी आयात में इस तरह की भारी वृद्धि देखी गई थी। अब तीसरी बार ऐसा हो रहा है और इसके चलते एक बार फिर मंदी की आहट तेज हो गई है।
हालांकि अमेरिकी सरकार की ओर से कोई बड़ा बयान अभी नहीं आया है, लेकिन अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो इसका असर दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ सकता है।