
पंजाब और हरियाणा के बीच दशकों से चला आ रहा जल विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस बार विवाद की वजह बना है भाखड़ा बांध से हरियाणा को 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने का केंद्र सरकार का फैसला। इस फैसले के बाद पंजाब ने कड़ा विरोध जताते हुए इसे ‘जनविरोधी’ और ‘तानाशाही’ करार दिया है।
केंद्र की अहम बैठक में लिया गया फैसला
दरअसल, यह फैसला हाल ही में केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया। इस बैठक में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) को निर्देश दिया गया कि वह अगले आठ दिनों तक हरियाणा को उसकी “तत्काल ज़रूरतों” के आधार पर 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी दे। इस बैठक में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
बैठक का मकसद हरियाणा और राजस्थान के कुछ इलाकों में चल रहे जल संकट को दूर करना था, लेकिन पंजाब इस फैसले से खुश नहीं है। पंजाब सरकार का कहना है कि बीबीएमबी में पंजाब की 60% हिस्सेदारी है और बिना उसकी सहमति के ऐसा फैसला लेना राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन है।
सीएम भगवंत मान का तीखा बयान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नैतिक रूप से हरियाणा को सिर्फ 1700 क्यूसेक पानी ही दिया जा सकता है, लेकिन जबरन 4500 क्यूसेक पानी देने का फैसला पंजाब के हकों की सीधी लूट है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड अब पंजाब के अधिकारों को दरकिनार कर केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है।
सीएम मान ने सवाल उठाया कि जब पंजाब का पानी पहले ही सीमित है और राज्य में भी कई इलाकों में जल संकट है, तो ऐसे में पंजाब के हक का पानी हरियाणा को क्यों दिया जा रहा है?
राजनीतिक तकरार और विरोध की तैयारी
इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र के इस फैसले को पंजाब के हितों के खिलाफ बताया और जल अधिकारों की रक्षा के लिए विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि यह पंजाब के किसानों और आम जनता के साथ अन्याय है।
वहीं दूसरी ओर, राजस्थान सरकार ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह एक मानवीय निर्णय है, जो प्रभावित इलाकों की पानी की ज़रूरत को देखते हुए लिया गया है।
पुराना विवाद, नई बहस
गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का यह विवाद नया नहीं है। दशकों से दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर तनाव चलता आ रहा है। भाखड़ा डैम, सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर और अन्य जल परियोजनाएं इस विवाद का केंद्र रही हैं। ऐसे में केंद्र सरकार का यह ताज़ा फैसला एक बार फिर इस पुराने मुद्दे को गर्मा गया है।
अब देखना यह होगा कि इस विवाद का क्या समाधान निकलता है और क्या केंद्र सरकार सभी राज्यों की सहमति से कोई संतुलित रास्ता निकाल पाती है या नहीं।