
देश इस समय एक बड़े खतरे की आहट को लेकर सतर्क हो चुका है। 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार देशभर में एक बड़ी और व्यापक सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की योजना बना चुकी है। 7 मई को पूरे भारत में यह मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें आम जनता से लेकर सुरक्षा एजेंसियां तक हिस्सा लेंगी। आइए जानते हैं इससे जुड़े सभी अहम सवालों के आसान और रोचक जवाब।
क्या है मॉक ड्रिल और क्यों हो रही है?
करीब 55 साल बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब इतने बड़े पैमाने पर नागरिक सुरक्षा अभ्यास कराया जा रहा है। पिछली बार 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय ऐसा हुआ था। आज की मॉक ड्रिल का मकसद युद्ध जैसे हालात या किसी बड़े हमले की स्थिति में देश के नागरिकों की जान बचाने और उन्हें तैयार करने की रणनीति को परखना है। इसे अब तक का सबसे बड़ा मॉक ड्रिल कहा जा रहा है।
किस वजह से हो रही है यह ड्रिल?
कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद से सुरक्षा को लेकर देशभर में गंभीरता बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साफ कर दिया है कि आतंकियों को उनकी करतूत की बहुत बड़ी सजा मिलेगी। इस पृष्ठभूमि में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी नागरिक सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं।
मॉक ड्रिल में क्या-क्या होगा?
इस मॉक ड्रिल में बहुत सी महत्वपूर्ण गतिविधियां की जाएंगी, जैसे:
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एयर रेड सायरन बजाए जाएंगे ताकि हवाई हमले की चेतावनी दी जा सके।
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ब्लैकआउट उपाय लागू होंगे, जिसमें बिजली बंद कर इलाके को अंधेरे में रखा जाएगा ताकि दुश्मन को निशाना लगाने में कठिनाई हो।
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बंकर और खाइयों की सफाई और जांच की जाएगी ताकि आपातकाल में लोगों को सुरक्षित पनाह मिल सके।
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निकासी अभ्यास, जिसमें लोगों को संवेदनशील इलाकों से सुरक्षित स्थानों तक ले जाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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संचार प्रणाली की जांच होगी, जैसे कि हॉटलाइन और रेडियो लिंक का परीक्षण।
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प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिसमें प्राथमिक चिकित्सा, आग बुझाने, और सुरक्षित आश्रय स्थल के उपयोग की जानकारी दी जाएगी।
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महत्वपूर्ण संस्थानों को छिपाने की तैयारी की जाएगी, जैसे कि बिजली संयंत्र और सैन्य अड्डों को दुश्मन की नजर से बचाना।
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शैडो कंट्रोल रूम यानी बैकअप नियंत्रण केंद्र का भी अभ्यास किया जाएगा।
क्या इससे रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर असर होगा?
हालांकि यह मॉक ड्रिल बहुत बड़े स्तर पर हो रही है, लेकिन दूध, दवाई, राशन, बैंकिंग और परिवहन जैसी जरूरी सेवाएं सामान्य रूप से चलती रहेंगी। ब्लैकआउट और सायरन जैसे प्रयोग कुछ खास संवेदनशील इलाकों तक ही सीमित होंगे और पूरी तरह नियंत्रित होंगे।
कौन-कौन होगा शामिल?
इस अभ्यास में होमगार्ड, एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस और एनवाईकेएस वालंटियर्स, स्कूल-कॉलेज के छात्र, दमकल विभाग, मेडिकल टीमें, स्थानीय पुलिस, और सशस्त्र बलों की भागीदारी रहेगी। इसका उद्देश्य है नागरिकों को युद्ध जैसे हालात के लिए मानसिक रूप से तैयार करना, ताकि किसी संकट की स्थिति में घबराहट या अफरा-तफरी ना मचे।
यह मॉक ड्रिल देश की सुरक्षा व्यवस्था का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। इसका मकसद है लोगों को सतर्क बनाना, बचाव उपायों की जांच करना और यह सुनिश्चित करना कि अगर कभी कोई बड़ा खतरा आया, तो हम पूरी तैयारी के साथ उसका सामना कर सकें। यह अभ्यास केवल एक रिहर्सल नहीं, बल्कि जनता की सुरक्षा का अभ्यास है – और इसमें हर नागरिक की भूमिका अहम है।