चंडीगढ़ से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक हालिया बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप ने अपने ट्वीट में यह कहा था कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों से बात करेंगे ताकि देखा जा सके कि क्या “हज़ार साल पुराना” कश्मीर मसला सुलझाया जा सकता है।
इस बयान को लेकर मनीष तिवारी ने कहा कि कोई अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप को बताए कि कश्मीर का मुद्दा हज़ार साल पुराना नहीं है, बल्कि यह एक आधुनिक राजनीतिक समस्या है जिसकी शुरुआत 1947 में हुई थी। उन्होंने ट्रंप के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए उन्हें ऐतिहासिक तथ्यों की याद दिलाई।
मनीष तिवारी ने बताए ऐतिहासिक तथ्य
मनीष तिवारी ने लिखा कि कश्मीर विवाद की शुरुआत 22 अक्टूबर 1947 को हुई थी, जब पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर पर हमला किया था। इसके बाद 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना।
तिवारी ने आगे कहा कि पाकिस्तान ने जिस हिस्से पर अवैध कब्जा किया, वह आज तक एक बड़ा विवाद बना हुआ है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस स्पष्ट इतिहास को समझना क्या इतना मुश्किल है?
ट्रंप के बयान से नाराज़गी
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर कांग्रेस नेता की नाराज़गी सिर्फ तथ्यों के आधार पर नहीं थी, बल्कि उन्होंने इसे भारत के आंतरिक मामलों में अनावश्यक दखल बताया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर सोच-समझ कर बयान देना ज़रूरी है, खासकर जब वह किसी देश के सर्वोच्च नेता हों।
ट्रंप के इस बयान से भारत में राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। जबकि सरकार ने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, विपक्षी दलों ने इस पर खुलकर अपने विचार रखे हैं। मनीष तिवारी का बयान इस ओर इशारा करता है कि कांग्रेस पार्टी भारत की संप्रभुता और इतिहास के साथ कोई समझौता नहीं चाहती।
मनीष तिवारी ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि कश्मीर का मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है और इसे इतिहास के सही तथ्यों के आधार पर ही देखा जाना चाहिए। उन्होंने अमेरिकी नेताओं को भी सलाह दी कि बिना पूरा इतिहास समझे, ऐसे भ्रमित करने वाले बयान ना दें।